काटजू ने इससे पहले ब्लॉग में लिखा कि, तिलक को महान सेनानी माना जाता है लेकिन मेरी राय अलग है। मुझे पता है कि इसके लिए लोेग मुझे गालियां देंगे, लेकिन मुझे इससे फर्क नहीं पड़ता। अपने बयान के पक्ष में तर्क देते हुए काटजू ने लिखा, 1894 में तिलक ने गणेश पूजा को बढ़ावा दिया और सार्वजनिक समारोह कराए। इ नमें हिंदुओं से गायों की रक्षा करने और मुहर्रम में भाग न लेने की अपील की गई थी।1891 में उन्होंने हिंदुत्व विरोधी बताते हुए शादी की उम्र को 10 से 12 साल करने का विरोध किया था।
काटजू यहीं नहीं रूके और आगे लिखा कि, तिलक ने आर्यो का मूल निवास आर्कटिक बताया था। साथ ही 1896 में बॉम्बे में प्लेग फैलने पर उन्होंने अंग्रेज सरकार द्वारा घरों को खाली कराने का विरोध किया था और इसके पक्ष में तर्क दिया कि इससे हिंदू महिलाएं पर्दे से बाहर आएंगी जो उचित नहीं है। काटजू ने तिलक और महात्म गांधी पर अंग्रेजों के हितों का पूरा करने का आरोप भी लगाया।