लखनऊ। ट्रेनों में यात्रियों के सामानों की ही नहीं बल्कि पार्सल कोच की सुरक्षा करने में भी आरपीएफ पूरी तरह नाकाम साबित हो रही है। पिछले एक सप्ताह में तीन बार पुष्पक एक्सप्रेस के पार्सल कोच को काटकर चोरों ने लाखों का माल पार कर दिया। लेकिन चोरों को पकड़ने की बात तो दूर आरपीएफ को घटना की भनक तक नहीं लग पा रही है।
बुधवार को चोरों ने एक बार फिर पुष्पक एक्सप्रेस के पार्सल कोच में सेंध लगाकर लाखों का माल साफ कर दिया। चोरों ने मुम्बई से लखनऊ के लिए बुक कराया गया सामान पार कर दिया। पीड़ितों के अनुसार चोरी हुए सामान की कीमत लाखों में है। मंगलवार को भी शातिरों ने इस ट्रेनों के पार्सल कोच को काटकर करीब दस लाख रुपये के सामान पर हाथ साफ किया था। पीड़ितों का यह भी कहना है कि बिना आरपीएफ की मिलीभगत के ट्रेनों में इस तरह की घटनाओं को अंजाम नहीं दिया जा सकता है।
जानकारी के अनुसार राजधानी के तीन कोरियर व्यापारियों शिव कार्गो सर्विस, गणपति कोरियर एवं मधुर कोरियर सर्विस के संचालकों ने मुम्बई से राजधानी आने वाली पुष्पक एक्सप्रेस के पार्सल कोच को रेलवे से किराये पर ले रखा है। इन लोगों ने बुधवार को मुम्बई से ट्रेनों के पार्सल कोच में मोबाइल फोन के टच, डिस्प्ले, सजावटी सामान, महिला प्रसाधन के सामान, कम्प्यूटर से सबंधित सामान तथा होजरी का सामान बुक कराया था। मुम्बई से ट्रेनों के चलने के बाद चोर गिरोह के सदस्यों ने शौचालय के अन्दर से पार्सल कोच को लोहा कटर के जरिये काट दिया और हाथ डालकर लाखों रुपये के सामान पर हाथ साफ कर दिया।
पुष्पक एक्सप्रेस ट्रेनों के राजधानी पहुंचने पर जब सुपरवाइजर सतीश सिंह ने सामान उतारने के लिए पार्सल कोच का ताला खोला तो उसके हाथ पैर फूल गये। कोच पीछे की ओर से लोहा कटर द्वारा काटा गया था और उसमें रखा सामान अस्त-व्यस्त था। शातिर कोच में तो नहीं घुस पाये। लेकिन उन्होंने कोच को लोहा कटर से काटने के बाद उसमें हाथ डालकर कीमती सामान जरुर पार कर दिया।
पीड़ितों के अनुसार अभी चोरी हुए सामान की कीमत का अंदाजा नहीं लगाया जा सका है। क्योंकि चोरी हुए ज्यादातर सामान कोरियर में बुक होके आये थे। गुरुवार को चोरी हुए सामानों के मालिकों के आने पर ही चोरी हुए सामान की वास्तविक कीमत का पता चल सकेगा। वहीं बीते चार दिनों में तीसरी बार हुई इस घटना से व्यापारी भी सकते में आ गये हैं।
व्यापारियों का कहना है कि इस ट्रेन की सुरक्षा की पूरी जिम्मेदारी आरपीएफ की है और आरपीएफ कर्मी ट्रेनों में नियमित गश्त भी करते हैं इसलिए बिना आरपीएफ कर्मियों की मदद के इस तरह की घटनाओं को अंजाम नहीं दिया जा सकता है। हालांकि इस मामले में मुकदमा दर्ज कराने के लिए अभी तक पीड़ितों की ओर से जीआरपी को कोई तहरीर नहीं दी गयी है।
इस मामले में जीआरपी के लखनऊ जंक्शन चैकी इन्चार्ज विष्णु कुमार कौशिक का कहना है कि मामला उनकी जानकारी में आया है, लेकिन अभी तक पीड़ितों की ओर से इस बावत कोई तहरीर नहीं दी गयी है। तहरीर मिलने के बाद मामले में मुकदमा दर्ज कर आवश्यक कार्रवाई की जायेगी।
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