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महाराष्ट्र सरकार का अहम फैसला, मदरसे नहीं माने जाएंगे स्कूल

Published: Jul 03, 2015 12:21:00 am

प्रदेश सरकार ने फैसला लिया है कि मदरसों को स्कूल नहीं माना जाएगा क्योंकि इनमें औपचारिक शिक्षा नहीं दी जाती है

Madarsa

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मुंबई । महाराष्ट्र की फड़णवीस सरकार ने मदरसों को लेकर अहम फैसला किया। सरकार ने कहा, जिन मदरसों में अंग्रेजी, गणित व विज्ञान सरीखे प्राथमिक विषयों की पढ़ाई नहीं होती है, उनका आकलन गैर-स्कूल के रूप में होगा। ऎसे मदरसों में पढ़ रहे बच्चों की स्कूली शिक्षा भी मान्य नहीं होगी। इस फैसले का मुस्लिम नेताओं और विपक्षी दलों ने विरोध किया है।

राज्य के अल्पसंख्यक मंत्री एकनाथ खड़से ने कहा, संविधान कहता है, सबको औपचारिक शिक्षा का अधिकार है। मदरसों से छात्रों को औपचारिक शिक्षा नहीं मिल रही है। मदरसा स्कूल नहीं, धार्मिक शिक्षा केंद्र है। ऎसे मदरसे गैर-स्कूल श्रेणी में गिने जाएंगे। स्कूली शिक्षा विभाग 4 जुलाई से ऎसे बच्चों को चिह्नित करेगा, जो स्कूल में नहीं पढ़ते ताकि मुख्य धारा की शिक्षा से जोड़ा जा सके। अब अभियान के तहत मदरसे के छात्र-छात्राओं को भी गैर-स्कूली बच्चों के रूप में पहचाना जाएगा।

महाराष्ट्र सरकार बच्चों को औपचारिक शिक्षा देने पर मदरसों को भुगतान को तैयार है। उसने संचालकों को आगाह किया था, सरकारी अनुदान चाहते हैं तो पाठयक्रम में औपचारिक विषय शामिल करें।

यह पड़ेगा असर :
मदरसों के विद्यार्थियों को सामान्य विद्यार्थी को मिलने वाली सुविधाएं नहीं मिलेंगी
सरकारी अनुदान और छात्रवृत्ति भी नहीं मिलेगी
नौकरियों में आवेदन के लिए भी संभवत: अपात्र माने जाएंगे
उच्च शिक्षा हासिल करने के लिए प्रवेश में दिक्कत आ सकती है

मदरसा बोर्ड नहीं : महाराष्ट्र में मदरसा बोर्ड नहीं है। उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र व पश्चिम बंगाल में मदरसों की निगरानी बकायदा मदरसा बोर्ड करता है। महाराष्ट्र में साल 2013 में तत्कालीन कांग्रेस-राकांपा सरकार ने मदरसा आधुनिकीकरण योजना शुरू की थी। इसके लिए 100 करोड़ रूपए का बजट आवंटित किया गया था।


अल्पसंख्यक समुदाय के बच्चों को मुख्यधारा की शिक्षा देने का उद्देश्य है। जिससे उन्हें रोजगार के अवसर मिलें।
एकनाथ खड़से, अल्पसंख्यक मामलात मंत्री, महाराष्ट्र

मदरसों के बच्चे सिविल सेवा परीक्षा तक पास करते हैं। क्या ऎसा फैसला वैदिक विष्ायों का अध्ययन करने वाले स्कूलों के बारे में करेंगे?
असदुद्दीन ओवैसी, अध्यक्ष, एआईएमआईएम

महाराष्ट्र सरकार का फैसला अस्वीकार्य है। आप मदरसों की शिक्षा को नकार नहीं सकते हो।
मौलाना महमूद मदनी, महासचिव, जमायत-ए-एलेमा

धार्मिक आधार पर किसी भी बच्चे के साथ भेदभाव नहीं किया जाना चाहिए। हम इस मुद्दे को विधानसभा में उठाएंगे।
संजय निरूपम, प्रवक्ता, कांग्रेस
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