हाजी अली दरगाह में महिलाओं के प्रवेश को महाराष्ट्र सरकार का समर्थन
Published: Feb 10, 2016 09:59:00 am
याचिकाकर्ता राजू मोरे ने कहा कि हाजी अली की आधिकारिक वेबसाइट कहती है कि वास्तव में कब्र के अंदर किसी को दफन नहीं किया गया है
मुंबई। प्रसिद्ध हाजी अली दरगाह की मुख्य कब्र पर महिलाओं को प्रवेश देने की महाराष्ट्र सरकार ने वकालत की है। राज्य के महाधिवक्ता ने इस मामले में सरकार के रुख को लेकर हाईकोर्ट को भी अवगत कराया है। अदालत ने इस मुद्दे पर अपना फैसला सुरक्षित रखा है। संबंधित पक्षों की दलीलें सुनने के बाद, न्यायमूर्ति वीएम कनाडे और न्यायमूर्ति रेवती मोहिते डेरे की खंडपीठ ने सभी पक्षों को दो सप्ताह में अपनी दलीलें लिखित में देने का निर्देश दिया।
पीठ के सामने पेश महाधिवक्ता ने कहा कि दरगाह बोर्ड जब तक यह साबित नहीं कर देता कि पाबंदी कुरान से संबंधित उनकी धार्मिक परंपराओं का हिस्सा है, महिलाओं को हाजी अली की मुख्य कब्र पर प्रवेश की अनुमति होनी चाहिए। गौरतलब है कि दरगाह की कब्र में महिलाओं के प्रवेश पर पाबंदी के हाजी अली ट्रस्ट के फैसले को चुनौती दी गई थी। अदालत ने तीन फरवरी को राज्य सरकार को इस जनहित याचिका पर अपनी राय बताने को कहा था।
दरगाह बोर्ड ने बताया कि दरगाह में पुरुष सूफी संत की कब्र है और इस्लाम में, पुरुष सूफी संत को छूना महिलाओं के लिए गुनाह माना गया है, इसलिए महिलाओं को कब्र छूने से रोका गया है। जनहित याचिका डालने वाले राजू मोरे ने कहा कि हाजी अली की आधिकारिक वेबसाइट कहती है कि वास्तव में कब्र के अंदर किसी को दफन नहीं किया गया है। उन्होंने कहा कि मैंने अपनी दलील के समर्थन में हाजी अली की वेबसाइट पर आधिकारिक रूप से जो कुछ लिखा है उसका प्रिंट आउट अदालत को दिया है।