तपेश्वर सिंह अपनी जर्जर साइकिल पर अपनी लापता पत्नी बबीता का पोस्टर लगाकर महीनों से उसे ढूंढ रहा था।
मेरठ। बिहार के निवासी तपेश्वर सिंह पिछले 9 महीने से अपनी लापता पत्नी की तलाश में दर-दर भटक रहा है। तपेश्वर सिंह अपनी जर्जर साइकिल पर अपनी लापता पत्नी बबीता का पोस्टर लगाकर महीनों से उसे ढूंढ रहा था। तपेश्वर की ये खोज 14 नवंबर को हल्द्वानी में जाकर पूरी हुई। तपेश्वर बिहार का रहने वाला है मगर वो मेरठ में आकर बस गया था।
साइकिल पर बीवी की तस्वीर लगाकर दर-दर भटका
इसी साल मार्च में जब तपेश्वर सिंह अपनी लापता पत्नी बबीता की खोज में निकले तो उन्हें पता नहीं था कि उन्हें बबीता को कहां ढूंढना है। सिर्फ एक उम्मीद थी कि वह जहां कहीं भी उन्हें जल्द से जल्द मिल जाएगी। 40 साल के तपेश्वर सिंह ने एक जर्जर साइकिल पर पत्नी की तस्वीर लगायी और निकल पड़े उसे ढूंढने। कुछ लोगों ने तपेश्वर की भावनाओं को समझा तो कई लोगों ने उनका मजाक भी बनाया। तपेश्वर ने बताया 3 साल पहले ब्रजघाट के जिस धर्मशाला में सिंह ठहरे थे वहीं, बबीता के रिश्तेदार उसे छोड़ गए थे जिसके बाद सिंह ने बबीता से शादी कर ली। लेकिन एक दिन अचानक बबीता कहीं गायब हो गई।
कई दिनों तक बिना कुछ खाए-पिए ढूंढता रहा पत्नी को
अपनी पत्नी के गायब होने के बाद तपेश्वर ने प्रतिज्ञा ली थी कि वह अपनी लापता पत्नी को ढूंढ कर रहेंगे। उनके इस सफर में कई मुश्किलें आईं। वह घंटों साइकल चलाते रहे। बिना पैसों के कई-कई दिन तक बिना खाना-पानी के रहे। तपेश्वर सिंह ने बताया कि उनके कुछ जान पहचान के लोगों ने उन्हें सूचना दी थी कि मेरठ के एक कुख्यात दलाल ने बबीता को एक दिन सड़क पर भटकते देखा और किसी कोठे पर बेच दिया। इस जानकारी के आधार पर तपेश्वर ने इलाके के सभी वेश्यालयों के चक्कर काटे। सिंह को पता चला कि उस दलाल ने बबीता को बेचने की कोशिश तो की थी लेकिन उसकी मानसिक स्थिति को देखते हुए ये सौदे नहीं हो पाया।
हल्द्वानी में अचानक हुआ अपनी खोई हुई पत्नी से सामना
इस मामले में एफआईआर दर्ज की गई और पुलिसवालों ने भी तपेश्वर की मदद करने का भरोसा दिलाया। बबीता की खोज के लिए टीम भी बनाई गई। लेकिन कुछ हासिल नहीं हुआ। इन सबके बीच तपेश्वर ने उम्मीद नहीं छोड़ी। उसे यकीन था कि एक दिन बबीता उसे जरूर मिलेगी और सोमवार 14 नवंबर को वह दिन आ ही गया। हल्द्वानी में सड़क किनारे अकेले बैठी वह महिला कोई और नहीं बल्कि तपेश्वर की पत्नी बबीता थी जिसकी वह पिछले 9 महीने से तलाश कर रहा था।
बबीता को देखकर भावुक हो गया तपेश्वर
तपेश्वर सिंह ने बताया कि पहले तो मुझे अपनी आंखों पर यकीन ही नहीं हुआ कि वह बबीता ही थी। वह फटे-पुराने कपड़ों में लिपटी थी। उसे उस स्थिति में देख ऐसा लगा जैसे मुझे लकवा मार गया हो। कई महीने तक मैंने दिन-रात उसकी तलाश की। मैंने पिछले एक दशक में जो भी कुछ कमाया और बचाया था उसके एक-एक पैसे बबीता की खोज में लगा दिया। कभी-कभी ऐसा लगता था जैसे मेरी यह कोशिश बेकार है। आखिरकार मुझे मेरी पत्नी मिल ही गई। बबीता को नहीं पता कि वो यहां कैसे पहुंच गई। लेकिन उसे इतना जरूर मालूम है कि वह भी अपने पति की तलाश कर रही थी।