नई दिल्ली. रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (आरबीआई) के दस्तावेजों से नोटबंदी पर बड़ा खुलासा हुआ है। इसमें पता चला है कि नोटबंदी लागू करने का फैसला सरकार का था। सरकार ने आरबीआई को एक दिन पहले इसे लागू करने का सुझाव दिया था। इसके बाद आरबीआई ने इस पर सहमति जताई और फिर यह नोटबंदी लागू की गई।
अंग्रेजी अखबार की रिपोर्ट में दावा किया गया
एक अंग्रेजी अखबार की रिपोर्ट के अनुसार, सरकार ने एक दिन पहले यानी सात नवंबर को आरबीआई को 500 और 1000 के नोट बंद करने का सुझाव दिया था। इस रिपोर्ट में आरबीआई के 7 पन्नों के दस्तावेजों का हवाला दिया गया है। इन दस्तावेजों के मुताबिक, 7 नवंबर को सरकार ने आरबीआई को सुझाव दिया था कि अर्थव्यवस्था से जुड़ी तीन समस्याओं पर लगाम लगाने के लिए 500 और 1000 रुपये के नोटों को बैन कर दिया जाना चाहिए। सरकार ने जिन समस्याओं को गिनाया था उनमें नकली नोट, आतंकवाद के पोषण के लिए धन और काला धन शामिल हैं।
आरबीआई ने बुलाई थी बैठक
आरबीआई ने सरकार से जानकारी मिलने के बाद आनन-फानन में केंद्रीय बोर्ड की बैठक बुलाई थी। इसमें फैसले को लागू करन पर सहमति बनी थी। इसके बाद 8 नवंबर को पीएम मोदी ने ऐलान कर दिया कि उसी रात 12 बजे से 500 और 1000 के नोट अमान्य हो जाएंगे। दरअसल, आरबीआई के इस खुलासे के बाद सरकार की आलोचन हो रही है। इस ऐलान के करीब एक सप्ताह बाद राज्यसभा में इसी बात को लेकर चर्चा हुई थी। विपक्ष ने सरकार से पूछा था कि क्या आरबीआई पर जबरन यह फैसला थोपा गया था या फिर आरबीआई ने खुद से निर्णय लिया था। बता दें कि केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल ने संसद में बयान दिया था कि रिजर्व बैंक के बोर्ड ने ये निर्णय लिया है। इसको सरकार के पास भेजा और सरकार के इस निर्णय की सराहना करते हुए कैबिनेट ने इसे मंज़ूरी दी थी।