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RTI के तहत नहीं मिलेगी जजों के मेडिकल खर्चों की जानकारी: SC

Published: Jul 02, 2015 03:21:00 pm

कोर्ट ने फैसले में कहा है कि इस तरह की जानकारी आरटीआई के दायरे में नहीं आती है व इससे जनता का कोई भला नहीं होगा 

Supreme Court

Supreme Court

नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने जजों व उनके परिवार वालों के मेडिकल खर्चों की जानकारी आरटीई के तहत देने से मना कर दिया है। कोर्ट ने अपने फैसले में कहा है कि इस तरह की जानकारी आरटीआई के दायरे में नहीं आती है।

मुख्य न्यायाधीश एच एल दत्तू की अध्यक्षता वाली तीन-सदस्यीय खंडपीठ ने कहा कि आज यदि वह इस याचिका को सुनवाई के लिए मंजूर करती है तो कल से लोग आरटीआई के माध्यम से न्यायाधीशों द्वारा इस्तेमाल की गई दवाओं के ब्यौरे को लेकर याचिका दायर करने लगेंगे। 

आरटीआई कार्यकर्ता सुभाष अग्रवाल की ओर से दायर याचिका खारिज करते हुए न्यायमूर्ति दत्तू ने कहा की एक बार जब लोगों को इस्तेमाल की गई दवाओं के बारे में पता चल जाएगा तो वे यह पता करने में सफल रहेंगे कि संबंधित जज किस बीमारी से ग्रसित हैं। यह जजों के निजता के अधिकारों का हनन होगा।

सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले पर अग्रवाल के वकील प्रशांत भूषण ने असहमति जाताई। भूषण ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले से जनता में गलत संदेश जाएगा कि न्यायपालिका राजनीति और नौकरशाही में पारदर्शिता लाने के लिए अच्छे आदेश तो देती है, लेकिन जब न्यायाधीशों से संबंधित मामूली जानकारी की बात आती है तो वह मुकर जाती है। 

गौरतलब है कि याचिकाकर्ता ने दिल्ली उच्च न्यायालय के उस फैसले को शीर्ष अदालत में चुनौती दी थी, जिसमें उसने कहा था कि न्यायाधीशों के चिकित्सा पर होने वाले खर्चों का ब्यौरा मांगना आरटीआई कानून के तहत नहीं आता है, क्योंकि इससे समाज को कोई फायदा नहीं होने वाला है।
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