डेयरी किसान चाहते हैं कि सरकार इस पर गंभीरतापूर्वक विचार करेगी, क्योंकि ज्यादातर देशों में ऐसा किया जा चुका है
मुंबई। गौवंश के वध पर प्रतिबंध के साथ ही महाराष्ट्र में डेयरी किसानों ने दुधारू पशुओं के इतिहास, उनके प्रजनन चक्र और दूध उत्पादन की क्षमता का पता लगाने के लिए आधार कार्ड की तरह ही आईडी टैग तैयार करने का विचार पेश किया है। राज्य के डेयरी विभाग के मंत्री एकनाथ खडसे ने कहा कि सरकार को अब तक डेयरी किसानों से कोई औपचारिक प्रस्ताव नहीं मिला है, लेकिन यदि प्रस्ताव से उन्हें मदद मिलती है तो इस मांग पर विचार किया जाएगा।
योजना के लिहाज से महत्वपूर्ण
खडसे ने बताया कि डेयरी किसानों से अब तक हमें कोई प्रस्ताव नहीं मिला है, लेकिन यदि हमें प्रस्ताव मिलता है तो हम उसका अध्ययन करेंगे और अगर यह किसानों के लिए लाभकारी हुआ तो इसे स्वीकार करने में हमें कोई दिक्कत नहीं होगी।डेयरी किसान चाहते हैं कि सरकार इस पर गंभीरतापूर्वक विचार करेगी, क्योंकि ज्यादातर देशों में ऐसा किया जा चुका है और इससे डेयरी कृषि को मदद मिलती है। प्रभात डेयरी के प्रबंध निदेशक विवेक निर्मल ने बताया कि यूआईडी नंबर को टैग करने से सबसे महत्वपूर्ण लाभ यह होगा कि गायों की दूध देने की क्षमता, उनके प्रजनन चक्र आदि के बारे में पूरी जानकारी मिल जाएगी, जो कि कारोबार और योजना बनाने के लिहाज से महत्वपूर्ण है।
श्रीरामपुर और अहमदनगर में काम शुरू
निर्मल ने कहा कि महाराष्ट्र में हम किसानों को वित्तीय संस्थानों से वित्तीय सहायता योजनाओं के माध्यम से गायें खरीदने में मदद करते हैं। गायों का बीमा होता है, इसलिए प्रत्येक गाय के लिए यूआईडी महत्वपूर्ण है। प्रत्येक गाय का आंकड़ा इसे संग्रह करने वाले सॉफ्फटवेयर (क्लाउड) में रखा जाता है। उन्होंने कहा कि उनकी यूनिट श्रीरामपुर और अहमदनगर में 3,000 से अधिक गायों को टैग लगाने का काम शुरू कर चुकी है, जो कि भारत में सर्वाधिक दूध उत्पादन करने वाले जिलों में से हैं।
एक कान में टैग किया जा सकता है यूआईडी
निर्मल आगे बताते हैं कि हमारी गौ कल्याण योजना में महाराष्ट्र पशुधन विकास बोर्ड (एमएलडीबी) के साथ एसएमएस के जरिये सूचना साझा करने का प्रावधान है। गांव के स्तर पर संग्रह केंद्र में बड़ी संख्खया में खरीद सहयोगी दूध खरीदने की प्रक्रिया में करीब 70,000 दूध किसानों और पंजीकृत दुग्ध दुकानदारों के साथ समन्वय करते हैं। उन्होंने कहा कि लगभग सभी गायें मिलती-जुलती नजर आती हैं, ऐसे में उनकी पहचान जरूरी है। 12 डिजिट का यूआईडी नंबर सृजित करना आसान है, जिसके जरिये डेयरी यूनिट, किसान और वित्तपोषक संस्थान गायों के इतिहास, उनके प्रजनन चक्र, उत्पादन क्षमता आदि के बारे में जान सकते हैं। निर्मल ने बताया कि किसान अपनी भाषा में एक फार्म भरते हुए पशुओं के रंग आदि से लेकर उनका शारीरिक ब्यौरा दे सकते हैं और अपने बारे में बता सकते हैं। इस पूरे ब्यौरे वाला यूआईडी गाय के एक कान में टैग किया जा सकता है।