नई दिल्ली। विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने आज कहा कि परमाणु आपूर्तिकर्ता देशों के समूह (एनएसजी) में शामिल होने के भारत के प्रयास की विफलता को कूटनीतिक हार नहीं माना जाना चाहिए। सुषमा स्वराज ने बुधवार को लोकसभा में प्रश्नकाल के दौरान कहा कि एनएसजी ग्रुप में शामिल होने का भारत का प्रयास विफल हुआ है लेकिन इसे कूटनीतिक हार नहीं कहा जा सकता है। यह हमारी कूटनीतिक रणनीति का ही परिणाम है कि हम एनएसजी ग्रुप में शामिल होने के दरवाजे तक पहुंचे। इसे हमारी विजय माना जाना चाहिए क्योंकि इससे आगे के रास्ते खुल गए हैं।
उन्होंने कहा कि इस संबंध में चीन के साथ बातचीत की प्रक्रिया खत्म नहीं हुई है। उसे मनाने की कोशिश जारी है और कोई न कोई हल अवश्य निकलेगा। एनएसजी ग्रुप में भारत को शामिल कराने के मेक्सिको के प्रयासों के सराहना करते हुए उन्होंने कहा कि उसी के कहने पर एनएसजी ग्रुप का पूर्ण सत्र बुलाया गया था। स्वराज ने कहा कि यह भी बड़ी बात है कि भारत परमाणु अप्रसार संधि में शामिल न होने के बावजूद परमाणु के मामले में अपनी प्रतिबद्धता के कारण एनएसजी ग्रुप में शामिल होने के करीब पहुंचा है।
भारत नहीं करेगा परमाणु अप्रसार संधि (NPT) पर दस्तखतसंसद में बोलते हुए विदेश मंत्री ने कहा कि भारत परमाणु अप्रसार संधि (NPT) पर कभी दस्तखत नहीं करेगा, हालांकि वह निरस्त्रीकरण के लिए प्रतिबद्ध है। लोकसभा में बुधवार को सुप्रिया सुले, सौगत बोस के पूरक प्रश्न के जवाब में विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने कहा, ‘मैंने पहले भी कहा था, आज भी कह रही हूं, सदन में कह रही हूं कि चीन ने प्रक्रियागत विषयों को उठाया था। चीन ने कहा था कि NPT पर हस्ताक्षर नहीं करने वाला देश NSG का सदस्य कैसे बन सकता है। इस तरह से चीन ने प्रक्रियागत बाधा खड़ी की।’
कांग्रेस पर निशाना साधते हुए सुषमा स्वराज ने कहा कि एक बार कोई नहीं माने तो हम यह नहीं कह सकते कि वह कभी नहीं मानेगा। हमारे कांग्रेस के मित्र
GST पर नहीं मान रहे हैं। अन्य सभी दल मान गए हैं। केवल कांग्रेस नहीं मान रही है। हम मनाने में लगे हैं। उन्होंने कहा कि लेकिन कांग्रेस एक बार नहीं माने तो क्या हम यह कहें कि वे कभी नहीं मानेंगे। हम मनाने में लगे हैं, हो सकता है कि जीएसटी बिल इसी सत्र में पास हो जाए। सुषमा स्वराज ने कहा कि 2008 में असैन्य परमाणु संबंधी जो छूट हमें मिली थी, उसमें NPT का सदस्य बने बिना ही इसे आगे बढ़ाने की बात कही गई थी।
क्या है एनपीटी?इस संधि के तहत परमाणु शक्ति संपन्न राष्ट्र उसे ही माना गया है जिसने 1 जनवरी 1967 से पहले परमाणु हथियारों का निर्माण और परीक्षण कर लिया हो। दुनिया में परमाणु हथियारों के प्रसार को रोकने के मकसद से 1 जुलाई, 1968 से नॉन प्रॉलिफरेशन ट्रीटी यानी परमाणु अप्रसार संधि की शुरुआत हुई थी। इसका उद्देश्य हथियारों के प्रसार पर रोक के साथ ही परमाणु परीक्षण पर भी लगाम लगाना है। अब तक इस संधि पर 190 देश हस्ताक्षर कर चुके हैं। इनमें अमरीका, फ्रांस, रूस, ब्रिटेन और चीन जैसे परमाणु संपन्न देश भी शामिल हैं, जबकि भारत, इस्राइल, उत्तर कोरिया और पाकिस्तान जैसे प्रमुख संप्रभुता संपन्न देशों ने इस पर साइन नहीं किए हैं।
Home / Miscellenous India / मोदी सरकार ने कहा, भारत नहीं करेगा NPT पर दस्तखत