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नहीं चाहिए हमें 45 रूपए में चिकन करी

Published: Jul 06, 2015 01:19:00 pm

संसद की कैंटीन को सब्सिडी देने के खिलाफ सांसद

Indian Parliament

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नई दिल्ली। कई सांसदों का मानना है कि संसद भवन में चल रहे कैंटीन पर दी जा रही सब्सिडी समाप्त कर दी जानी चाहिए, क्योंकि इसके कारण सांसदों की बदनामी हो रही है। सूचना का अधिकार के तहत मांगी गई एक जानकारी से पता चला है कि संसद भवन में चल रहे करीब आधा दर्जन कैंटीन में 2013-14 में करीब 14 करोड़ रूपए की सब्सिडी दी गई।

एक समाचार एजेंसी ने जिन सांसदों से इस बारे में बात की, उनमें से अधिकतर ने यह भी बताया कि बेमतलब के मुद्दे पर शोर मचाया जा रहा है, क्योंकि अधिकतर सरकारी कैंटीनों में इस तरह की सब्सिडी दी जा रही है।

सिक्किम के सांसद पी.डी. राय (सिक्किम डेमोक्रेटिक पार्टी) ने एजेंसी से बातचीत करते हुए कहा, भोजन पर दी जा रही सब्सिडी से बदनामी हो रही है। इसे समाप्त कर दिया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि सरकारी संस्थानों में दी जा रही इस तरह की सब्सिडी समाप्त करने के लिए नीतिगत फैसला लिया जाना चाहिए।

केरल से मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) के सांसद एम. बी. राजेश ने कहा, सिर्फ सांसद ही नहीं, बल्कि पत्रकार और संसद भवन के कर्मचारी जैसे अन्य लोग भी कैंटीन में खाते हैं। यदि इसे समाप्त करना ही समाधान है, तो इसे समाप्त कर दिया जाए।

उन्होंने कहा, हम फालतू के मुद्दों पर अपना समय बर्बाद कर रहे हैं। अभी एक सांसद सिर्फ 38 रूपए में संसद भवन के कैंटीन में खाना खा सकता है। हाल ही में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के कैंटीन में खाना खाने से यह मुद्दा चर्चा में आ गया है।

टीआरएस सांसद जितेंद्र रेड्डी की अध्यक्षता वाली समिति ने इन कैंटीनों में मूल्य सूची 2010 से संशोधित नहीं की है। भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के सांसद अर्जुन राम मेघवाल ने कहा, मूल्य हर तीन-चार साल में संशोधित किए जाते हैं। हम समिति में इस पर चर्चा करेंगे और सरकार इस पर फैसला ले सकती है।

इन कैंटीनों में 1952 से सब्सिडी दी जाती है। कई सांसद हलांकि यह भी मानते हैं कि इस मुद्दे को इतना तूल देना जरूरी नहीं है। मेघवाल ने कहा, कुछ सांसद अकेले रहते हैं। सत्र के दौरान उन्हें भोजन तो चाहिए। राजेश ने कहा कि समस्या यह है कि अधिकतर लोग सोचते हैं कि सांसद अमीर होते हैं।

उन्होंने कहा, लोगों की नजर में सांसदों की सिर्फ एक श्रेणी है- अमीर सांसदों की श्रेणी। आधे सांसद ही अमीर हैं। कुछ हमारी तरह के सांसद भी हैं, जो गरीब हैं। उन्होंने कहा कि स ंसद से बाहर कई अधिक अमीर लोगों को अधिक सब्सिडी मिल रही है। एक सांसद को अभी 50 हजार रूपए मासिक वेतन और अन्य भत्ता मिलता है।

उन्होंने कहा, लोग सोचते हैं कि कैंटीन में खाना सस्ता है, लेकिन सच्चाई यह है कि गुणवत्ता भी वैसी ही है। कई सांसदों ने कहा कि वे कैंटीन में बिल्कुल नहीं खाते।

राजेश ने कहा, मैं सिर्फ दिन का खाना कैंटीन में खाता हूं। बाकी खाना घर पर खाता हूं। सांसद ने कहा, संसद के 9000 कर्मचारी भी कैंटीनों में खाते हैं। संसद भवन में चल रहे कैंटीनों में एक कटोरी दाल डेढ़ रूपए में, एक कटोरी खीर 5.50 रूपए में, एक फु्रट केक 9.50 रूपए में, सलाद सात रूपए में, चिकन करी 45 रूपए में और हैदराबादी बिरियानी 51 रूपए में मिल जाती है।

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