script“एक ही मौके में तीन बार तलाक कहना जुर्म, लेकिन नहीं कर सकते बदलाव” | Muslim board not in favour of once said divorce for three times | Patrika News

“एक ही मौके में तीन बार तलाक कहना जुर्म, लेकिन नहीं कर सकते बदलाव”

Published: Sep 03, 2015 05:54:00 pm

एक बार में तीन तलाक कहना हालांकि जुर्म है लेकिन इससे तलाक हर हाल में मुकम्मल माना जाएगा और इस व्यवस्था में बदलाव मुमकिन नहीं है।

talaq system in muslim

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लखनऊ। ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड और संबद्ध संगठनों ने एक ही मौके पर तीन बार तलाक कहे जाने को एक बार कहा मानने संबंधी गुजारिश को लगभग ठुकराते हुए आज कहा कि कुरान और हदीस के मुताबिक एक बार में तीन तलाक कहना हालांकि जुर्म है लेकिन इससे तलाक हर हाल में मुकम्मल माना जाएगा और इस व्यवस्था में बदलाव मुमकिन नहीं है।

ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के प्रवक्ता मौलाना अब्दुल रहीम कुरैशी ने कहा कि उन्हें अखबार की खबरों से पता लगा है कि ऑल इंडिया सुन्नी उलेमा काउंसिल ने बोर्ड के साथ-साथ देवबंदी और बरेलवी मसलक को खत लिखकर कहा है कि अगर इस्लामी कानून में गुंजाइश हो तो किसी शख्स द्वारा एक ही मौके पर तीन बार तलाक कहे जाने को एक बार कहा हुआ माना जाए, क्योंकि अक्सर लोग गुस्से में एक ही दफा तीन बार तलाक कहने के बाद पछताते हैं। कुरैशी ने कहा कि खबरों के मुताबिक काउंसिल ने पाकिस्तान समेत कई मुल्कों में ऎसी व्यवस्था लागू होने की बात भी कही है। हालांकि बोर्ड को अभी ऎसा कोई पत्र नहीं मिला है लेकिन वह काउंसिल के सुझाव से सहमत नहीं है।

बोर्ड प्रवक्ता ने कहा कि किसी मुस्लिम मुल्क में क्या होता है, उससे हमें कोई लेना-देना नहीं है। पाकिस्तान, बांग्लादेश, ईरान, सूडान और दीगर मुल्कों में क्या हो रहा है, वह हम नहीं देखते। हम तो यह देखते हैं कि कुरान शरीफ, हदीस और सुन्नत क्या कहती है। इस्लाम में एक ही मौके पर तीन बार तलाक कहना अच्छा नहीं माना गया है लेकिन इससे तलाक मुकम्मल माना जाएगा। इस व्यवस्था में बदलाव की कोई गुंजाइश नहीं है। कुरैशी ने कहा कि मुस्लिम पर्सनल ला बोर्ड ने पिछले हफ्ते मुल्क के तमाम उलमा के नाम एक सवालनामा भेजा है, जिसमें कहा गया है कि एक वक्त में तीन तलाक कहने वालों को क्या जुर्माने की कोई सजा दी जा सकती है।

इस बीच, बरेलवी मसलक के मुख्य केन्द्र दरगाह आला हजरत की मजहबी और समाजी मामलों की इकाई जमात रजा-ए-मुस्तफा के महासचिव मौलाना शहाबउद्दीन ने बताया कि एक बार में तीन तलाक कहने को अमान्य किए जाने की मांग पहले भी उठ चुकी है लेकिन हनफी, शाफई, मालिकी और हम्बली समेत चारों मसलक के धर्मगुरओं ने तय किया है कि एक बार में तीन दफा तलाक कहे जाने से तलाक मुकम्मल माना जाए।

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