मुस्लिम महिला आंदोलन के संगठन के 13 राज्यों में हैं 70,000 से भी ज्यादा सदस्य, पत्र लिखकर कहा कि लिंग के आधार पर होता है हमारे साथ भेदभाव
अलीगढ़। भारतीय मुस्लिम महिला आंदोलन की महिलाओं ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी समेत अन्य नेताओं को चिट्ठी लिखी है। संगठन की महिलाओं ने पत्र में मुस्लिम पर्सनल लॉ में सुधार की जरूरत के बारे जिक्र किया है। देश भर की मुसलमान औरतों की नुमाइंदगी करने वाले संगठन में के 13 राज्यों में 70,000 से ज्यादा सदस्य हैं। इस संगठन ने मुस्लिम महिलाओं का कहना है कि उन्हें लिंग के आधार पर किए जाने वाले भेदभाव का सामना करना पड़ता है।
इस संगठन की को-फाउंडर ज़ाकिया सोमान का कहना है, “जेंडर जस्टिस हमारे संविधान की बुनियाद में है। प्रधानमंत्री को चिट्ठी लिखकर हम मुसलमान औरतों की चिंताओं को भारत सरकार के सामने रखना चाहते हैं। हमने मुसलमान औरतों की मांगों और उनकी इच्छाओं के मद्देनजर एक मसौदा भी तैयार किया है। इन प्रावधानों को स्वीकार करने से मुसलमान औरतों को गरिमा के साथ जिंदगी जीने में मदद मिलेगी।”
सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस अनिल दवे और जस्टिस आदर्श कुमार की खंडपीठ भी नैशनल लीगल सर्विसेज अथॉरिटी को जवाब दाखिल करने के लिए कह चुकी है कि क्या इस भेदभाव को संविधान के अनुच्छेद 14, 15 और 21 के तहत मिले मौलिक अधिकारों के हनन के तौर पर नहीं लिया जाना चाहिए।