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कोर्ट ने यात्रियों से भरी ट्रेन की जब्त, लिखित आश्वासन पर छोड़ी गाड़ी

सैकड़ों यात्री सोमवार को सुबह उस वक्त अचंभे में रह गए, जब हरिहर स्टेशन पर रुकी गाड़ी को अचानक जब्त कर लिया गया

Oct 25, 2016 / 10:16 am

सुनील शर्मा

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दवाणगेरे। मैसुरु जा रही सिद्धगंगा इंटरसिटी एक्सप्रेस में सवार सैकड़ों यात्री सोमवार को सुबह उस वक्त अचंभे में रह गए, जब हरिहर स्टेशन पर रुकी गाड़ी को अचानक जब्त कर लिया गया। कर्नाटक के दवाणगेरे जिले के हरिहर स्टेशन पर रुकी ट्रेन को कोर्ट की ओर से जब्त किए जाने के आदेश के चलते करीब 100 मिनट तक रोके रखा गया। अदालत ने रेलवे की ओर से 62 वर्षीय जी. शिवकुमार को जमीन का मुआवजा देने में असफल रहने पर यह फैसला सुनाया था।

दरअसल वर्ष 2006 में एक रेलवे प्रॉजेक्ट में जी. शिवकुमार की जमीन चली गई थी। एक सीनियर रेलवे अधिकारी ने मुआवजा जारी करने के लिए कुछ वक्त की मांग की, लेकिन कोर्ट स्टाफ और पीडि़त किसान लिखित में भरोसा चाहते थे। ट्रेन को आगे की यात्रा को तभी रवाना किया गया, जब रेलवे अधिकारियों ने लिखित में दिया कि किसान को एक सप्ताह के भीतर मुआवजे की राशि अदा कर दी जाएगी।

शिवकुमार को मुआवजे की 38 लाख रुपये की रकम देने में रेलवे की हीलाहवाली के मामले की सुनवाई करते हुए सीनियर डिविजनल मजिस्ट्रेट सुभाष बांदू होसकले ने ट्रेन को ही जब्त करने का आदेश दे दिया।

रेलवे ने ली थी 300 किसानों की जमीन
रेलवे ने ट्रैक बिछाने के लिए 100 किलोमीटर की लंबाई में 1991 में चित्रदुर्ग और रायदुर्ग में जमीन का अधिग्रहण किया था। इस परियोजना के लिए रेलवे ने करीब 300 किसानों की जमीन का अधिग्रहण किया था, लेकिन अब भी करीब 100 किसान मुआवजे की राशि के इंतजार में हैं। इस साल कर्नाटक में यह दूसरा मामला है, जब किसानों के मुआवजे के लिए किसी ट्रेन को ही जबरन रूकवा लिया गया।

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