scriptचीन नेपाल की प्राथमिकता में न था, न है और न कभी रहेगा : राजदूत | Nepal will not go with China : Ambassador | Patrika News

चीन नेपाल की प्राथमिकता में न था, न है और न कभी रहेगा : राजदूत

Published: Oct 07, 2015 10:58:00 pm

नेपाल के
राजदूत दीप कुमार उपाध्याय ने इस
बात का खंडन किया कि नेपाल भारत को छोड़कर चीन का साथ लेना चाहता है

Deep Kumar Upadhyay

Deep Kumar Upadhyay

नई दिल्ली। नेपाल ने बुधवार को कहा कि नेपाली संविधान को लेकर भारत-नेपाल संबंधों में आए गतिरोध को एक बुरा सपना बनाकर दोनों देशों को भूल जाना चाहिए और बहुत ही संवेदनशीलता से ऎसे कदम उठाने चाहिए कि भविष्य में ऎसी स्थिति पैदा न हो। नेपाल के राजदूत दीप कुमार उपाध्याय ने बीपी कोइराला फाउंडेशन द्वारा “नेपाल के नए संविधान एवं भारत-नेपाल संबंध” विषय पर आयोजित गोष्ठी में यह बात कही।

उन्होंने इस बात का खंडन किया कि नेपाल भारत को छोड़कर चीन का साथ लेना चाहता है। उन्होंने कहा, चीन, नेपाल की प्राथमिकता में न था, न है और न कभी होगा। नेपाल अंतिम क्षण तक भारत के साथ उसकी आर्थिक प्रगति में साथ चलना चाहता है। उपाध्याय ने कहा कि जाने-अनजाने जो कुछ भी बुरा हो गया है और जो भी नकारात्मकता आई है। कृपया उसे नकारअंदाज कर दें। दोनों ओर गलतफहमियां हैं। इसे एक बुरा सपना समझ कर भूलना ही अच्छा है।

उन्होंने कहा कि नेपाल की जनता त्राहि-त्राहि कर रही है। दशहरा और दीपावली देश के सबसे बड़े त्योहार हैं। पेट्रोलियम पदार्थो की कमी के साथ-साथ अस्पतालों में ऑक्सीजन और दवाओं की कमी से लोग परेशान हैं। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने पिछले साल नेपाल में खूब लोकप्रियता हासिल की थी। पर इस अनपेक्षित घटना से हमें विश्वास ही नहीं हो रहा है कि भारत के निर्णय से नेपाल को तकलीफ हो रही है।

उन्होंने कहा कि इंडियन ऑयल कॉरपोरेशन (आईओसी) नेपाल की जीवनरेखा है। नेपाल के संविधान को लेकर कुछ समुदाय एवं वर्ग असंतुष्ट हैं। दोनों पक्षों के बीच आज एक आधिकारिक शांति संवाद क मेटी का गठन हो गया है।

उन्होंने बताया कि संविधान कोई अंतिम दस्तावेज नहीं है। संसद में उसे संशोधित किया जाएगा और मधेशियों, थारू और जनजातीय समुदायों की चिंताओं का समाधान किया जाएगा। भारत और नेपाल के संबंध पूरी दुनिया में सबसे अनूठे हैं। तराई के साथ रोटी और बेटी के संबंध हैं। दोनों देशों के दर्शन सभ्यता एवं संस्कृति एक है। हम विश्व को शांति एवं समृद्धि की ओर ले जाने के लिए नेतृत्व करें।

उन्होंने कहा कि भारत को जल्द से जल्द नेपाल की तकलीफ दूर करनी चाहिए। दोनों देशों को बहुत ही संवेदनशीलता से सोचना होगा। भारत बताए कि नेपाल किस तरह से हाथ बढ़ाए। हम उसके लिए तैयार हैं। इस मौके पर राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) के महासचिव डी पी त्रिपाठी ने कहा कि नेपाल छोटा देश अवश्य है, लेकिन उसने दक्षिण एशिया में पूर्ण लोकतांत्रिक तरीके से संविधान की रचना की है। इसका सम्मान किया जाना चाहिए।

उन्होंने बताया कि भारत सरकार ने 48 घंटे में नेपाल की दिक्कतें दूर हो जाने का वादा किया है। उन्होंने नेपाल में हिंसक आंदोलन को त्याग देने की अपील की। त्रिपाठी ने कहा कि एक स्वतंत्र, संप्रभु राष्ट्र नेपाल की प्रतिष्ठा का पूरा आदर होना चाहि, और सरकार की कोशिश होनी चाहिए कि उनका संविधान ठीक तरह से लागू हो और सामाजिक समरसता बनी रहे।

बहुजन समाज पार्टी (बसपा) के सुधीन्द्र भदौरिया ने कहा कि नेपाल के नए संविधान का स्वागत किया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि नए संविधान में दलित जनजातीय आदि सभी वर्गो के कल्याण के लिए सारी बातें समाहित की जानी चाहिए।

भारत के रक्षा एवं रणनीतिक अध्ययन संस्थान के निहार नाईक ने कहा कि भारत ने नेपाल की कोई आर्थिक नाकेबंदी नहीं की है। मधेसी आंदोलन के कारण ही भारतीय मालवाहक वाहन नेपाल के अंदर प्रवेश नहीं कर पा रहे हैं, जबकि नेपाल के पूर्व विदेश सचिव मधुरमण आचार्य ने कुछ तल्ख स्वर में कहा कि वे भारत से प्रार्थना करते हैं कि वह नेपाल को बराबरी का सम्मान दे और उसे विकल्पों की ओर देखने के लिए मजबूर ना करे।

नेपाली कांग्रेस के सांसद अनिल कुमार रूंगटा ने कहा कि नेपाल और भारत के बीच गलतफहमियों के कारण रोजाना नेपाल को 200 करोड़ रूपए का नुकसान हो रहा है। उन्होंने कहा कि मधेसियों को उनका अधिकार मिलेगा। वह भी अपनी पार्टी में इसके लिए पूरा दबाव बनाएंगे।
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