जहां एक ही पद पर भर्ती हो, वहां आरक्षण नहीं-सुप्रीम कोर्ट
सुप्रीम कोर्ट ने व्यवस्था दी है कि जहां सरकार कैडर में एक ही पद को भर रही हो, वहां अनुसूचित जाति, जनजाति, अन्य पिछड़ा वर्ग के लिए कोई आरक्षण नहीं होगा।
नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने व्यवस्था दी है कि जहां सरकार कैडर में एक ही पद को भर रही हो, वहां अनुसूचित जाति, जनजाति, अन्य पिछड़ा वर्ग के लिए कोई आरक्षण नहीं होगा। पर साथ ही यह भी स्पष्ट किया गया है कि यदि आरक्षित वर्ग को कोई भी व्यक्ति पहले से ही सरकारी नौकरी में है और विभागीय प्रोन्नति के जरिए भरे जाने वाले एकल पद के लिए योग्य है तो एकल पद पर नियुक्त करते समय उसे कोई हानि नहीं होगी।
न्यायाधीश दीपक मिश्रा और न्यायाधीश पीसी पंत की पीठ ने पूर्व के दो निर्णयों का हवाला भी दिया। दोनों जजों की बैंच ने कहाकि, यह साफ जाहिर है कि एक पद पर आरक्षण देेने से सामान्य वर्ग के प्रतियोगी पहले ही बाहर हो जाएंगे और इससे अधिक पदों पर भर्ती होने पर आरक्षण का मुद्दा उठेगा। जस्टिस मिश्रा और पंत की बेच ने पूर्व में दिए गए दो निर्णयों के आधार पर कहाकि यदि क्लर्क कैडर में एक पद खाली है तो उसे पदोन्नति के जरिए भरा जाना चाहिए जिससे की आरक्षण का मुद्दा उठे ही नहीं।
साल 1998 में संवैधानिक पीठ ने चंडीगढ़ के पोस्टग्रेजुएट इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल एजुकेशन और रिसर्च बनाम फेकल्टी एसोसिएशन केस में कहा था कि, एकल पद पर रोस्टर रोटेशन के आधार पर आरक्षण देने से ऎसी स्थिति उत्पन्न हो जाएगी जहां पर ऎसे एकल पद केवल आरक्षित वर्गो के लिए ही रखें जाएंगे और सामान्य वर्ग के सदस्य तो इससे बाहर ही हो जाएंगे। इस तरह से सामान्य वर्ग को पूरी तरह से बाहर कर देना और पिछले वर्गो के लिए शत प्रतिशत आरक्षण देना संवैधानिक प्रक्रिया के नियमों के खिलाफ है।
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