पिछड़ा वर्ग के राष्ट्रीय आयोग ने अनाथ बच्चों को भी अन्य पिछड़ा वर्ग यानि ओबीसी की केंद्रीय सूची में शामिल करने की बात कही है।
नई दिल्ली। पिछड़ा वर्ग के राष्ट्रीय आयोग ने केंद्र सरकार के सामने अपना प्रस्ताव रखा है। आयोग ने अनाथ बच्चों को भी अन्य पिछड़ा वर्ग यानि ओबीसी की केंद्रीय सूची में शामिल करने की बात कही है।
अनाथ बच्चों को स्कूल और नौकरी में मिले 27 प्रतिशत आरक्षण
अगर ये नई व्यवस्था लागू हो गई तो अनाथ बच्चों को सरकारी स्कूलों और नौकरी में 27 प्रतिशत आरक्षण दिया जाएगा।
ये निर्णय राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग आयोग ने अपनी हाल में जस्टिस पी इस्वराह की अध्यक्षता में हुई बैठक में लिया गया। ये सकारात्मक कदम ऐसे बच्चों की मदद करने के लिए उठाया जा रहा है जिन्होंने 10 साल से पहले अपने मां-बाप को खो दिया। ऐसे बच्चों को सरकारी मदद से स्कूल और अनाथश्रम में दाखिला दिलाया जाएगा। एनसीबीसी के सदस्य अशोक सैनी कहते हैं कि अभी इस निर्णय को सामाजिक न्याय मंत्रालय के समक्ष रखा जाएगा। उसके बाद इस पर आखिरी निर्णय आखिरी मुहर लगाई जाएगी।
सुप्रीम कोर्ट ने कहा था सिर्फ जाति के आधार पर नहीं होता पिछड़ापन
हाल ही में सुप्रीम ने एक फैसले में कहा था कि पिछड़े हुआ होने में सिर्फ जाति ही पैमाना नहीं हो सकती। एनसीबीसी ने पहली बार मई 2015 में अनाथ बच्चों को ओबीसी सूची में शामिल किए जाने पर विचार किया था। उसके कुछ महीनों सुप्रीम कोर्ट ने एक फैसला सुनाते हुए जाट को भी केंद्रीय ओबीसी सूची में शामिल किया था। इस सप्ताह हुई बैठक में एनसीबीसी ने पिछड़ेपन की एक नई परिभाषा देने की बात कही है। इस मामले में एनसीबीसी ने सभी राज्यों को पत्र लिखकर राय देने को कहा है। इसको देखते हुए तेलांगना और राजस्थान ने अपने राज्य की ओबीसी लिस्ट में अनाथ बच्चों को शामिल कर लिया है।
तमिलनाडु ने केंद्रीय सरकार से की सिफारिश
मध्य प्रदेश में भी राज्य पिछड़ा वर्ग आयोग ने अनाथ बच्चों को इस सूची में शामिल करने की सिफारिश की है मगर राज्य सरकार ने इसे ठुकरा दिया। वहीं तमिलनाडु में पिछले तीन सालों से अनाथ बच्चे राज्य ओबीसी सूची में शामिल है। एनसीबीसी सदस्य एसके खरवेंथन कहते हैं कि हम चाहते हैं कि ये केंद्रीय ओबीसी सूची में शामिल हो जाए। तमिलनाडु ने केंद्रीय सरकार से अनाथ और बेसहारा बच्चों को आरक्षण देने के लिए ओबीसी में शामिल करने की बात कही है। इससे पहले एनसीबीसी ने ट्रांसजेंडर को ओबीसी के अंतर्गत 27 प्रतिशत आरक्षण देने की सिफारिश की थी। पिछले महीने लोकसभा में ट्रांसजेंडर बिल पास किया गया गया मगर इसमें ऐसी किसी बात का उल्लेख नहीं किया गया।