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पूर्व राजघराने की सम्पत्तियों के दस्तावेज गायब!

Published: Aug 27, 2016 10:51:00 am

पूर्व राजघराने की अरबों की विवादित सम्पत्ति व राजस्थान विलय के दस्तावेज गायब हैं

Rajmahal palace par JDA action

Rajmahal palace par JDA action

जयपुर। पूर्व राजघराने की अरबों की विवादित सम्पत्ति व राजस्थान विलय के दस्तावेज गायब हैं। स्थिति यह है कि अब इनमें से कुछ की तो दूसरी प्रति भी उपलब्ध नहीं हो सकती। इनमें सरदार पटेल के हस्ताक्षरयुक्त कोवेनेंट के कागजात भी हैं। सम्पत्ति पर नियुक्त रिसीवर के ऑफिसर इंचार्ज राजेश कर्नल ने यह दावा किया।

उन्होंने इस मामले में आयुक्त शिखर अग्रवाल, उपायुक्त विष्णु गोयल व प्रवर्तन अधिकारी किशोर भदौरिया पर केस दर्ज कराने के लिए शिकायत दी है।
जेडीए ने 24 अगस्त को राजमहल होटल से सटी जिस जमीन पर कार्रवाई की उस पर रिसीवर कार्यालय भी था। कर्नल बोले जेडीए ने साजिशन बिना सूचना कार्यालय का ताला तोड़ रिकॉर्ड खुर्द-बुर्द किया। कोवेनेंट में जिन सम्पत्तियों पर डिमार्केशन किया था, वह दस्तावेज कार्यालय में ही थे।

जिस रजिस्टर में दस्तावेज अंकित किए वह नहीं मिला है। विवादित सम्पत्तियों के खुर्द-बुर्द होने की आशंका है। उन्होंने कहा जेडीए थानाधिकारी ने परिवाद को फिलहाल जांच में रखा है। कर्नल ने ‘ऊपरी’ प्रभाव के कारण एफआईआर दर्ज नहीं होने का दावा किया है।

…क्यों बताया आपराधिक कृत्य
– अधिकारों का दुरुपयोग कर रिसीवर ऑफिस का ताला तोड़ा।
– पौराणिक पत्रावली, दस्तावेजों, नक्शों को खुर्द-बुर्द करना।
– शीर्ष कोर्ट के आदेश में व्यवधान।

जांच फिर एफआईआर
सुप्रीम कोर्ट की रूलिंग है कि सरकारी अफसर पर जांच बगैर मामला दर्ज नहीं हो सकता। जेडीए से कार्रवाई की जानकारी मांगेंगे।
– बालाराम, थानाधिकारी, अशोक नगर

थाने पहुंचा विवाद… शिकायत-आरोपों का दौर
– ‘इन संपत्तियों का मामला… होगी परेशानी’
– अमरूदों का बाग, मोती डूंगरी महल, अशोक क्लब, रामबाग इन्वेस्टमेंट ग्राउंड, गोल्फ क्लब के पास अस्तबल व विवादित जमीनों के दस्तावेज। कोई भी इसका दुरुपयोग कर सकता है। जमीनों का बाजार भाव अरबों में है।
– राजस्थान की महत्वपूर्ण जमीनों के दस्तावेज व नक्शे हैं। इनके बिना पूर्व राजघराने की सम्पत्ति विवाद सुलझाने या फिर केस फाइल करने में बड़ी परेशानी सामने आएगी।
– विलय के लिए तत्कालीन शासकों व भारत सरकार के बीच हुए कोवेनेंट का प्रकाशन राजस्थान राजपत्र के विशेषांक में 14 जनवरी,1950 को हुआ था। इसमें जयपुर के पूर्व राजघराने की सम्पत्तियां भी हैं।
(राजेश कर्नल के अनुसार)

मांगा समय, तो लिखित में मना किया था जेडीसी ने
– कार्रवाई के दौरान राजेश कर्नल ने लिखित में 7 दिन का समय मांगा था, अग्रवाल ने हाथ से लिख कर मना कर दिया।

…इसलिए रिसीवर
– 1992 में पूर्व राजघराने के विवादित प्रकरण जगतसिंह बनाम कर्नल भवानी सिंह व अन्य में वादग्रस्त सम्पत्ति पर सुप्रीम कोर्ट ने प्रशासक कम रिसीवर नियुक्त किया।
– 1992 में पहले प्रशासक-रिसीवर पूर्व न्यायाधीश बी.जे. दीवान थे।
– 1995 में पूर्व न्यायाधीश यू.एन. बाछावत को रिसीवर नियुक्त किया।

रिसीवर के कक्ष में ही रखे हैं दस्तावेज : शिखर
आरोप है, रिसीवर कार्यालय का ताला तोड़ दस्तावेज खुर्द-बुर्द किए?

आरोप पूरी तरह निराधार है। दस्तावेज इधर-उधर नहीं हुए हैं। उसी सील कार्यालय में हैं। कुछ भी जेडीए नहीं लाया गया है।

दस्तावेज कार्यालय में क्यों रखे। रिसीवर प्रतिनिधि को क्यों नहीं दिए?
सामान ले जाने और संसाधन देने को कहा था, लेकिन वे तैयार नहीं हुए। मजबूरन, कार्यालय में ही रखने पड़े।

तो फिर यह मामला पुलिस थाने तक कैसे पहुंच गया?
इस संबंध में वे ही जानकारी दे सकते हैं। क्यों मामले को डायवर्ट करने की कोशिश कर रहे हैं।

राजमहल होटल व सटी गार्डन की जमीन पर भी जेडीए दावा कर रहा है?
हां यह बात सही है, राजमहल होटल व सटी गार्डन की जमीन को लेकर मामला लिटिगेशन में है।

चर्चा है, पूर्व राजघराने की विवादित सम्पत्तियों की फाइलें खंगाल रहे हैं?

ऐसा नहीं है, कोई टारगेट नहीं है। हम तो जेडीए मालिकाना हक की कई जमीनों पर कब्जा लेते आए हैं।

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