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PDP सांसद ने सरकार से पूछा, क्या बुरहान को मारना जरूरी था?

Published: Jul 21, 2016 10:01:00 am

संसद के मानसून सत्र में पीडीपी के सांसद मुजफ्फर बेग ने एनकाउंटर पर सवाल उठाते हुए पूछा कि क्या उसे मारना जरूरी था

Burhan Wani

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नई दिल्ली/ श्रीनगर। हिजबुल मुजाहिदीन के कमांडर बुरहान वानी के एनकाउंटर के बाद कश्मीर में जारी विरोध थमने का नाम नहीं ले रहा है। संसद में चल रहे मानसून सत्र में पीडीपी के सांसद मुजफ्फर बेग ने एनकाउंटर पर सवाल उठाते हुए पूछा कि क्या उसे मारना जरूरी था?

मुजफ्फर बेग ने पूछा, “जब बुरहान सिक्युरिटी एजेंसियों के रडार पर था तो उसे अरेस्ट क्यों नहीं किया गया? क्या मारना इतना जरूरी था? सिक्युरिटी फोर्सेस और पुलिस के साथ झड़प में अब तक 48 लोगों की मौत हो चुकी है, जबकि चार हजार से ज्यादा लोग घायल हुए हैं। कश्मीर के विलय की कीमत चुकानी पड़ रही है…।”

संसद में मुख्य विपक्षी दल कांग्रेस तथा टीएमसी ने कहा कि सरकार बुरहान की मौत के बाद उपजी राज्य की स्थिति पर काबू पाने में बुरी तरह से नाकाम रही है। जबकि भाजपा के विदेश राज्य मंत्री एमजे अकबर ने कहा कि पाकिस्तान के ‘काला दिवस’ मानाने के बाद कश्मीर में हालात बिगड़े हैं। इस मुद्दे पर रिपोर्ट लेने के लिए भाजपा नेता राम माधव कश्मीर पहुंच गए हैं। यहां पहुंच कर वे मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती तथा अन्य लोगों से बातचीत करेंगे।

सेना प्रमुख ने की शांति बनाए रखने की अपील
सेना प्रमुख जनरल दलबीर सिंह ने भी बुधवार को घाटी का दौरा कर हालात का जायजा लिया। उन्होंने जनता से शांति बनाए रखने की भी अपील क। साथ ही सेना को भारत-पाक नियंत्रण रेखा पर सख्ती से निगरानी के निर्देश भी दिए।

पूर्व गृहमंत्री पी. चिदंबरम ने दी स्वायत्तता देने की अपील
पूर्व गृहमंत्री पी. चिदंबरम ने भी कहा कि भारत में कश्मीर का विलय करने की देश को बड़ी कीमत चुकानी पड़ रही है। हमें राज्य के लोगों को अधिक स्वायत्तता देनी चाहिए। उन्हें उनके लिए कानून बनाने की इजाजत होनी चाहिए जब तक कि वे संविधान का उल्लंघन नहीं करते। उन्होंने कहा कि हमें उन पर भरोसा करना होगा और भरोसा दिलाना होगा कि हम उनके साथ हैं।

सर्वदलीय बैठक का बहिष्कार करेगी नेशनल कांफ्रेंस
जम्मू एवं कश्मीर में विपक्षी दल नेशनल कांफ्रेंस ने राज्य सरकार में प्रभावी नेतृत्व की कमी का हवाला देते हुए बुधवार को मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती द्वारा कश्मीर मसले पर चर्चा के लिए बुलाई गई सर्वदलीय बैठक में हिस्सा लेने से इनकार कर दिया है। नेशनल कांफ्रेंस के नेता अली मोहम्मद सागर ने एक वक्तव्य जारी कर कहा कि यह बहुत ही दुर्भाग्य की बात है कि कश्मीर घाटी में आठ जुलाई को हिजबुल कमांडर बुरहान वानी की मौत के पूरे दो सप्ताह बाद मुख्यमंत्री ने यह बैठक बुलाई है।

उल्लेखनीय है कि कश्मीर घाटी में आतंकवाद के पोस्टर ब्वॉय बन चुके वानी की भारतीय सुरक्षा बलों के हाथों मौत के बाद हिंसक विरोध-प्रदर्शन भड़क उठे और घाटी में कर्फ्यू लगाना पड़ा। कश्मीर घाटी में दो सप्ताह से कफ्र्यू जारी है और इस दौरान हिंसक झड़पों में 40 से अधिक लोगों की मौत हो चुकी है।

उन्होंने कहा कि गुरुवार को बुलाई गई इस सर्वदलीय बैठक का हमारी पार्टी इसलिए भी बहिष्कार करती है, क्योंकि राज्य सरकार में इस समय कोई प्रभावशाली नेतृत्व मौजूद नहीं है।

सागर ने राज्य में सत्तारूढ़ पीडीपी के विधायक मुजफ्फर हुसैन बेग सहित कई अन्य नेताओं के बयानों का हवाला दिया और कहा कि उनके बयानों ने न सिर्फ भ्रम की स्थिति पैदा की है बल्कि मुख्यमंत्री कार्यालय की स्थिति को भी कमजोर किया है। उल्लेखनीय है कि बेग ने वानी के खिलाफ चलाए गए सैन्य अभियान पर संदेह जताया था और आरोप लगाया था कि सुरक्षा एजेंसियों ने इस मामले में मुख्यमंत्री मुफ्ती को पूरी जानकारी नहीं दी थी।

अलगावादियों ने मनाया काला दिवस, की 24 को ‘ब्लैक आउट’ की अपील
राज्य के अलगाववादी नेताओं ने भी बुधवार को 10 जिलों में कर्फ्यू के बाद घाटी में काला दिवस मनाया। एक संयुक्त बयान जारी कर प्रमुख अलगाववादी नेता गिलानी, मीरवाइज उमर, फारूक और मोहम्मद यासीन मलिक ने कहा कि घाटी में 22 जुलाई तक हड़ताल जारी रहेगी। हालांकि, गुरुवार दोपहर दो बजे के बाद इसमें छूट रहेगी।

बुराहन वानी की मौत के बाद हुए प्रदर्शन पर की गई सैन्य कार्रवाई के विरोध में अलगाववादियों ने लोगों से रात 8.30 बजे से आधे घंटे तक अंधेरा रखने (ब्लैक आउट) की अपील की है। उन्होंने कहा कि 24 जुलाई की शाम को ‘ब्लैक आउट’ का पालन करें और अनंतनाग शहर में रैली के लिए जुटें।
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