पश्चिम बंगाल की राजधानी कोलकाता स्थित ढापा लैंडफिल (कूड़े का ढेर) में 24 घंटे आग लगी रहती है।
कोलकाता। पश्चिम बंगाल की राजधानी कोलकाता स्थित ढापा लैंडफिल (कूड़े का ढेर) में 24 घंटे आग लगी रहती है। इस लैंडफिल से उठने वाली जहरीली गैस (कार्बन डाइऑक्साइड और मीथेन) और धुओं में इसके आसपास की हजारों की आबादी सांस लेने को मजबूर है। नतीजा यह हो रहा है कि यहां रह रहे लोगों की औसत आयु घटकर सिर्फ 50 साल रह गई है। गौरतलब है कि देश में औसत जीवन प्रत्याशा दर 67 वर्ष है।
4000 मीट्रिक टन कचरे की डंपिंग
ढापा लैंडफिल के आसपास की आबादी लगभग 30 हजार के करीब है। यहां रोजाना 4000 मीट्रिक टन कचरे को ठिकाने लगाया जा रहा है। यहां कूड़े के ढेर में आग लगी हुई जिसके चलते जहरीली गैस मीथेन वातावरण में घुल रहा है। इस बारे में कोलकाता के मेयर सोवन चटर्जी का कहना है कि इस कूड़े के पहाड़ पर हर रोज बहुत बड़ी संख्या में कूड़ा भरकर ट्रक पहुंच रहे हैं। यहां हमेशा आग लगी रहती है, जिसके चलते जहरीला धुआं वातावरण में घुल रहा है और लोगों को बीमार कर रही है। एक शोध अध्ययन के अनुसार, यहां लगी आग के चलते जहरीली गैसों का रिसाव अपनी चरम पर है और जिसकी वजह से लोग समय से पहले मर रहे हैं। इस कूड़े के तेजी से विकसित हो रहे पहाड़ के आसपास कूड़े की प्रोसेसिंग इंडस्ट्री भी बहुत तेजी से पांव पसार रही है।
मानसून में कई आते हैं चपेट में
पूरे साल कूड़े के ढेर में आग लगी होती है, जिससे कई बार सांस लेना भी मुश्किल हो जाता है। मानसून के मौसम में आग बुझ जाती है क्योंकि डंपिंग ग्राउंड गीला हो जाता है। ऐसे मौसम में यहां काम करने और यहीं जीवन गुजारने वाले लोगों की मुश्किलें कम होने की बजाय बढ़ जाती हैं। इस मौसम में भी निगम के बड़े-बड़े ट्रक यहां कूड़ा पहुंचाने में कोई कमी नहीं रखते हैं। नतीजा होता यह है कि कई बार ओवरलोडेड ट्रक के बोझ से डंपिंग ग्राउंड यहां काम करने वालों के ऊपर ही गिर जाता है और लोग कूड़े के नीचे दबकर मर जाते हैं। दुर्गा मुंडन अपनी तकलीफ साझा करते हुए बताते हैं, यहां ज्यादातर लोग ५० की उम्र आते-आते काल के गाल में समा जाते हैं। इक्का, दुक्का लोग ही 60 तक पहुंच पाते हैं। मैं 30 का हो गया हूं और मुझे लगता है कि मैं बुढ़ापे की ओर बढ़ चला हूं।
बुरे दिन से लडऩे का देखते हैं सपना
शहर की लगभग 45 लाख की आबादी द्वारा पैदा किए जा रहे कचरे को ट्रक से यहां लाकर डंप करने वालों में से एक धारा का कहना है कि इस कचरे के पहाड़ में मृत बच्चे, उत्पाद शुल्क विभाग द्वारा तस्करी किए जाने वाले चॉकलेट और दवाएं डंप की जाती है। कई बार तो हमें इस कचरे में सोना…खूब सारा सोना मिल जाता है। मैं इस सोने का इस्तेमाल जरूरत के दिनों में करूंगी।