जहां एक ओर देशभर में गोरक्षा के नाम पर हिंसा का दौर जारी है, वहीं दूसरी ओर मध्यप्रदेश के आगर मालवा जिले से असली गोरक्ष सामने आए हैं।
मुकेश हरदेनियाय/ सुसनेर(मप्र). जहां एक ओर देशभर में गोरक्षा के नाम पर हिंसा का दौर जारी है, वहीं दूसरी ओर मध्यप्रदेश के आगर मालवा जिले से असली गोरक्ष सामने आए हैं। तहसील सुसनेर के छोटे से गांव लोधाखेड़ी के ग्रामीणों ने अपनी गायों की रक्षा के लिए अपनी फसल और 300 बीघा जमीन छोड़ दी। इसके पीछे की मूल वजह थीं चारे की समस्या। इस समस्या के निदान के लिए गांव वालों ने चरागाह के लिए दी ये जमीन कभी वापस न लेने की गंगाजल लेकर कसम भी खाई।
गायों के चारे के लिए उठाया कदम
बात कुछ दिन पहले की है। गांव के कुछ लोग हमेशा की तरह 300 गायों को लेकर राजस्थान गए थे, क्योंकि वहां आसानी से पर्याप्त मात्रा में चारे की व्यवस्था हो जाती है। लेकिन इस बार राजस्थान के पिड़ावा (झालावाड़) में इनकी गायों को चारा कम होने का हवाला देते हुए रोक लिया। इससे इन्हें अपनी गायों समेत वापस लौटना पड़ा। इसके बाद गांव में पंचायत की बैठक हुई। इसमें फैसला हुआ कि खेती के लिए जो अतिरिक्त शासकीय भूमि और उगी फसल भी चारे के तौर पर गायों के लिए छोड़कर इसे आरक्षित किया जाए।
इधर…मॉब लिंचिंग पर केंद्र का गोलमोल जवाब
नई दिल्ïली. भीड़ के हाथों मारे गए लोगों के मामले में लोकसभा में विपक्ष के विरोध का सामना कर रही केंद्र सरकार ने इस मामले में पूछे गए सवालों का गोलमोल जवाब दिया है। कें द्र ने कहा है कि गोरक्षा, गाय के व्यापार और दुव्र्यापार से संबंधित आंकड़े रखे ही नहीं जाते हैं। इसके खिलाफ जल्द ही कड़ा कानून बनाने की संभावना से भी इनकार किया है।
देश में गाय 12 करोड़, दुधारू सिर्फ चार करोड़
नई दिल्ïली. गोरक्षा के शोर-शराबे के बीच एक दिलचस्प आंकड़ा सामने आया है। देश में कुल 12 करोड़ 20 लाख गाय हैं लेकिन उनमें से सिर्फ 4 करोड़ 39 लाख ही दुधारू हैं। इसी तरह बैलों की कुल संख्या का मात्र 70 फीसदी ही उत्पादक अवस्था में है। शेष गाय और बैल अनुत्पादक हैं। केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री राधामोहन सिंह ने मंगलवार को लोकसभा में बताया कि देश में बैलों की कुल संख्या 6.79 करोड़ है, लेकिन इनमें से 4.68 करोड़ बैल ही प्रजनन तथा भार खींचने योग्य हैं। उन्होंने बताया कि 9 करोड़ 20 लाख परिवार कृषि पर आधारित हैं।