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‘सरकार के रवैये से लगता है कि वो कोर्ट का काम ठप करना चाहती है’

Published: Aug 13, 2016 09:56:00 am

Submitted by:

Rakesh Mishra

हाईकोर्टों के लिए सुझाए 75 जजों के नाम पर सहमति नहीं देने से नाराज सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र पर नाराजगी जताई

CJI TS Thakur

CJI TS Thakur

सुप्रीम कोर्ट संवाददाता, नई दिल्ली। हाईकोर्टों के लिए सुझाए 75 जजों के नाम पर सहमति नहीं देने से नाराज सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र पर नाराजगी जताई। तीन जजों की बेंच सीजेआई टीएस ठाकुर, जस्टिस एएम खानविलकर एवं वायडी चंद्रचूड ने अटार्नी जनरल मुकुल रोहतगी से कहा, मजबूर न करें कि आदेश देकर गतिरोध को दूर करें। सीजेआई ठाकुर ने कहा, सरकार के रवैये से लगता है कि वह कोर्ट का कामकाज ठप करना चाहती है।

बेंच की अध्यक्षता कर रहे चीफ जस्टिस टीएस ठाकुर ने कहा है कि सरकार कॉलेजियम की ओर से भेजी सिफारिशों पर अमल नहीं कर रही। सरकार के रवैये लगता है कि सरकार कोर्ट का कामकाज ठप करना चाहती है, लेकिन हम ऐसे हालात नहीं बनने देंगे। केंद्र सरकार चार सप्ताह में बताए कि उन सिफारिशों का क्या हुआ, जो कॉलेजियम ने भेजी थी। सुप्रीम कोर्ट उस जनहित याचिका की सुनवाई कर रहा है, जिसमें लॉ कमीशन की रिपोर्ट लागू कर जजों की कमी दूर करने की सिफारिश की गई है।

क्या चाहते हैं आरोपी जिंदगीभर जेल में रहें
कॉलेजियम ने उत्तराखंड हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस केएम जोसेफ के ट्रांसफर आंध्र प्रदेश हाईकोर्ट कर दिया है, लेकिन सरकार ने अब तक अधिसूचना जारी नहीं की। बेंच ने कहा कि जबकि देश के हाईकोर्टों में 60 फीसदी जजों की कमी है। लोगों 13-13 साल से अपने केस की सुनवाई का इंतजार कर रहे हैं। बेंच ने कहा कि इलाहाबाद हाईकोर्ट में 10 लाख से ज्यादा केस पेंडिंग हैं। आप क्या चाहते हैं कि आरोपी जिंदगीभर जेल में ही रहें।



तब रोए थे
पीएम के सामने सीजेआई टीएस ठाकुर भावुक होकर रोए कहा, जजों की संख्या बढ़ा दीजिए, सारा बोझ न्यायपालिका पर नहीं डालें
– सीएम, हाइकोर्ट जजों के सम्मलेन में (24 अप्रैल 2016)

शाम को आक्रमक
गर्मियों की छुट्टियों के दौरान जज मनाली नहीं जाते हैं, वह संवैधानिक बेंच के फैसलों को लिखते हैं। जब एक साइड तैयार होता है तो दूसरा नहीं होता। बार से पूछिए क्या वह तैयार हैं।
(मोदी की कोर्ट की छुट्टियां कम करने की सलाह पर)




एक दिन में एक जज द्वारा औसत सुनवाई
पटना 149
कोलकाता 148
हैदराबाद 109
राजस्थान 97
झारखंड 96
इलाहाबाद 77
गुजरात 65
मप्र 58
दिल्ली 32
त्रिपुरा 20

कोर्ट की खरी-खरी

ये नहीं चलेगा कि कॉलेजियम फैसले ले और सरकार उन फाइलों को ठंडे बस्ते में डाल दे। आपके (केंद्र सरकार) रवैये से लगता है कि आप कोर्ट का काम ठप करना चाहते हैं। हम जानना चाहते हैं कि फाइल कहां रुकी है। कॉलेजियम के फैसलों को कब तक लागू किया जाएगा। आपको नामों पर दिक्कत है तो फाइल वापस भेजिए, कॉलेजियम फिर देखेगा। आपकी कुछ तो जवाबदेही होनी चाहिए।

यह हैं हालात : हाईकोर्ट में लंबित मामले, होने वाली औसत देरी
इलाहाबाद- 3 साल, 9 महीने, 1 दिन
मध्य प्रदेश-2 साल, 9 महीने, 21 दिन
दिल्ली-2 साल, 8 महीने, 18 दिन
राजस्थान-2 साल, 6 महीने, 9 दिन
सिक्किम-10 महीने 10 दिन

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