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तीन तलाक यह समान आचार संहिता से अलग : अरुण जेटली

Published: Oct 16, 2016 08:59:00 pm

उन्होंने कहा, सरकार ने बार-बार अदालत और संसद दोनों से कहा कि प्रभावित पक्षों से विमर्श के बाद पर्सनल लॉ सामान्य तौर पर संशोधित किए गए हैं

Arun Jaitley

Arun Jaitley

नई दिल्ली। केंद्रीय वित्तमंत्री अरुण जेटली ने रविवार को कहा कि तीन तलाक के प्रचलन को समानता और मर्यादा के साथ जीने के अधिकार के मानकों पर परखा जाना चाहिए। जेटली ने अपने फेसबुक पेज पर लिखा, पर्सनल लॉ और तीन तलाक की व्यवस्था को संविधान के अनुरूप बनना होगा। यह कहने की जरूरत नहीं है कि समान मानक अन्य पर्सनल लॉ के लिए भी इस्तेमाल किए जाएंगे। तीन तलाक की संवैधानिक वैधता के मुद्दे पर ध्यान देते हुए उन्होंने कहा कि यह समान आचार संहिता से भिन्न है।

सुप्रीम कोर्ट के प्रमुख वकीलों में से एक जेटली ने कहा कि समान आचार संहिता के संबंध में अकादमिक बहस विधि आयोग के समक्ष जारी रह सकती है। वित्त मंत्री ने कहा, संविधान निर्माताओं ने राज्य के नीति निर्देशक तत्व में एक उम्मीद जताई थी कि समान आचार संहिता के लिए सरकार प्रयास करेगी।

उन्होंने आगे कहा, सभी धर्मों के अपने पर्सनल लॉ हैं। यह मानते हुए इस सवाल का उत्तर देना होगा, क्या उन ‘पर्सनल लॉ’ को संविधान के अनुरूप नहीं होना चाहिए? उन्होंने पर्सनल लॉ को चरणबद्ध ढंग से मूल अधिकार के अनुरूप बनाने से परहेज करने के लिए पूर्ववर्ती सरकार की निंदा की। जेटली ने कहा कि एक से अधिक अवसरों पर सर्वोच्च न्यायालय ने इस मुद्दे पर सरकार से उसके रुख के बारे में पूछा है।

उन्होंने कहा, सरकार ने बार-बार अदालत और संसद दोनों से कहा कि प्रभावित पक्षों से विमर्श के बाद पर्सनल लॉ सामान्य तौर पर संशोधित किए गए हैं। जेटली ने कहा कि धार्मिक प्रथाओं, अनुष्ठान और नागरिक अधिकारों में मौलिक अंतर है। उन्होंने कहा कि जैसे समुदायों का विकास हुआ है, लोगों को लैंगिक समानता की अत्यधिक जरूरत महसूस हुई है।

जेटली ने कहा कि एक रूढि़वादी विचार को छह दशक पहले न्यायिक समर्थन मिला था कि पर्सनल लॉ और निजी गारंटी से मेल नहीं खा सकता है। आज उस प्रतिज्ञप्ति को जारी रखना कठिन हो सकता है। तीन तलाक मामले में सरकार का हलफनामा इस उद्विकास को स्वीकार करता है।

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