नई दिल्ली। केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) के अंतरिम निदेशक राकेश अस्थाना की नियुक्ति रद्द करने तथा सीबीआई के नियमित निदेशक की नियुक्ति प्रक्रिया नियमानुसार शुरू करने का केंद्र सरकार को निर्देश देने की मांग को लेकर सुप्रीम कोर्ट में सोमवार को एक जनहित याचिका दाखिल की गई है। गैर सरकारी संस्था, कॉमन कॉज ने जनहित याचिका में तर्क दिया है कि केंद्र सरकार ने अस्थाना को सीबीआई का अंतरिम निदेशक बनाने के लिए दुर्भावनापूर्ण, मनमाने ढंग से तथा अवैध तरीके से कार्रवाई की।
याचिका में कहा गया है कि अस्थाना ने गोधरा में ट्रेन जलाने की घटना की जांच करने वाले विशेष जांच दल (एसआईटी) का नेतृत्व किया और वह गुजरात पुलिस में कई अहम पदों पर रह चुके हैं। राकेश अस्थाना को सीबीआई निदेशक का कार्यभार सौंपने के लिए केंद्र सरकार ने दुर्भावनापूर्ण, मनमाने व अवैध तरीके से कई कदम उठाए।
निवर्तमान निदेशक अनिल सिन्हा के दो दिसंबर, 2016 को सेवानिवृत्ति से मात्र दो दिन पहले विशेष निदेशक आर.के.दत्ता को केंद्रीय गृह मंत्रालय में स्थानांतरित कर दिया गया। उनके लिए मंत्रालय में विशेष सचिव के एक नए पद का सृजन किया गया है। उनकी नियुक्ति दो पद ऊपर संयुक्त सचिव के रूप में की गई है।
याचिका में कहा गया है कि ऐसा केवल इसलिए किया गया, ताकि दत्ता सीबीआई निदेशक की दावेदारी न पेश करें, क्योंकि सिन्हा के बाद एजेंसी में पद के हिसाब से वह दूसरे नंबर पर थे।
कॉमन काज ने याचिका में यह भी कहा है कि लोकपाल लोकायुक्त अधिनियम, 2013 तथा दिल्ली स्पेशल पुलिस इस्टाबलिश्मेंट एक्ट, 1946 के तहत सीबीआई निदेशक का चयन एक समिति के द्वारा की जाती है, जिसमें प्रधानमंत्री, विपक्ष में सबसे बड़ी पार्टी के नेता तथा भारत के मुख्य न्यायाधीश (या उनके द्वारा नियुक्त कोई न्यायाधीश) होते हैं।