भूमि अधिग्रहण अध्यादेश को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती, PIL दाखिल
Published: Apr 09, 2015 02:10:00 pm
याचिका में कहा गया है कि यह भूमि अधिग्रहण अध्यादेश कार्यपालिका का बेवजह हस्तक्षेप है
नई दिल्ली। केंद्र सरकार की ओर से फिर से जारी किये गए भूमि अधिग्रहण अध्यादेश की संवैधानिक वैधता को उच्चतम न्यायालय में चुनौती दी गई है। किसानों के हितों के लिए संघर्ष करने वाले चार गैर सरकारी संगठनों ने एक जनहित याचिका दायर करके पुन: अध्यादेश लाने के केंद्र सरकार के अधिकारों की वैधानिकता को चुनौती दी है। इनमें दिल्ली ग्रामीण समाज, भारतीय किसान यूनियन और ग्रामीण सेवा समिति शामिल हैं।
याचिका में कहा गया है कि केंद्र सरकार का यह भूमि अधिग्रहण अध्यादेश संसद के कानून बनाने के अधिकार में कार्यपालिका का बेवजह हस्तक्षेप है। याचिका में कहा गया है कि सरकार का यह कदम असंवैधानिक है। गौरतलब है कि केंद्र सरकार ने पहला भूमि अधिग्रहण अध्यादेश पिछले साल दिसम्बर में जारी किया था। बाद में संसद के बजट सत्र के पहले चरण में कुल नौ संशोधनों के साथ भूमि अधिग्रहण संशोधन विधेयक लोकसभा से पारित करा लिया गया।
हालांकि सरकार ने राज्य सभा में इसे पेश नहीं किया परिणाम स्वरूप पहला अध्यादेश पांच अप्रैल को समाप्त हो रहा था। मोदी मंत्रिमंडल ने दूसरे अध्यादेश को मंजूरी दी थी और इसे राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी के पास हस्ताक्षर के लिए भेजा गया था। राष्ट्रपति ने अध्यादेश पर हस्ताक्षर कर दिए थे।
केन्द्र सरकार को इस बिल को पास करने को लेकर पसीना बहाना पड़ रहा है। मोदी सरकार इस मुद्दे पर पर झुकने को तैयार नहीं है और विपक्ष भी इसके खिलाफ अड़ा हुआ है। समाजसेवी अन्ना हजारे भी बिल के विरोध में है और दिल्ली में वे प्रदर्शन भी कर चुके हैं। इसके चलते प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने रेडियो पर “मन की बात” के जरिए बिल पर सरकार की ओर से सफाई दी थी।