सेना बोलती नहीं, मुहंतोड़ जवाब देती है : पीएम मोदी
उन्होंने कहा कि इस कायराना हमले को अंजाम देने वाले दोषियों को छोड़ा नहीं जाएगा
नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 18 सितंबर को जम्मू एवं कश्मीर के सैन्य शिविर में आतंकवादी हमले में सेना के जवानों की शहादत को याद करते हुए कहा कि भारतीय सेना बोलती नहीं पराक्रम दिखाती है। उन्होंने कहा कि इस कायराना हमले को अंजाम देने वाले दोषियों को छोड़ा नहीं जाएगा। मोदी ने अपने मासिक रेडियो संबोधन ‘मन की बात’ में कहा, हाल ही में हमने उड़ी हमले में अपने जवानों को खो दिया। मैं इन शहीदों को श्रद्धांजलि देता हूं। देश में गुस्सा है। यह कायराना हरकत देश को हिलाने के लिए काफी थी।
भारत ने कहा है कि उड़ी के सैन्य शिविर पर हमला करने वाले आतंकवादी पाकिस्तान से नियंत्रण रेखा (एलओसी) पार करके आए थे। पाकिस्तान ने इन आरोपों से इनकार किया है लेकिन भारत का कहना है कि उसके पास पुख्ता सबूत हैं कि उड़ी मुठभेड़ में मारे गए चारों हमलावर आतंकवादी संगठन जैश-ए-मोहम्मद के थे और पाकिस्तान से आए थे।मोदी का कहना है कि उनकी सरकार इमस हमले को अंजाम देने वालों को दंडित करेगी।
मोदी के मुताबिक, हमले को अंजाम देने वालों को दंडित किया जाएगा। हमारा भारतीय सेना में पूरा विश्वास है और उन पर गर्व है। हमे अपनी सेना पर गर्व है। मोदी ने कहा कि उड़ी हमले से आहत कक्षा 11वीं के छात्र हर्षवर्धन ने उन्हें पत्र लिखा है जिसमें कहा गया है कि वह देश के लिए कुछ करना चाहता है।
मोदी का कहना है, वह गुस्से में है लेकिन उसने रोजाना तीन और घंटे पढऩे, एक अच्छा नागरिक बनने और देश की सेवा करने की प्रतिबद्धता जताई है। कश्मीर में रविवार को भी लगातार 80वें दिन सामान्य जीवन अस्त-व्यस्त रहा। स्कूल, कॉलेज, कार्यालय और अन्य प्रतिष्ठान बंद रहे। मोदी ने इस अशांति से कश्मीर लोगों को होने वाली कठिनाइयों का भी उल्लेख किया।
उन्होंने कहा कि कश्मीर के नागरिकों की सुरक्षा शासन की जिम्मेदारी है। कानून और व्यवस्था बनाने के लिए शासन को कुछ कदम उठाने पड़ते हैं, लेकिन सुरक्षा बलों को भी सुनिश्चित करना चाहिए कि उनकी सामथ्र्य और शक्ति का उपयोग कानून और व्यवस्था के लिए हो। प्रधानमंत्री ने देश के विकास को नई ऊंचाइयों पर पहुंचाने के लिए सभी के योगदान का आह्वान करते हुए कहा कि पूर्व प्रधानमंत्री लाल बहादुर
शास्त्री और राष्ट्रपिता महात्मा गांधी ने आंदोलन की तीव्रता को रचनात्मक सामाजिक कार्यों की तरफ प्रेरित करने के सफल प्रयोग किए थे। शास्त्री जी ने ‘जय जवान-जय किसान’ मंत्र देकर के देश के सामान्य मानव को देश के लिए कार्य कैसे करना है, उसकी प्रेरणा दी थी। बम-बन्दूक की आवाज के बीच देशभक्ति को प्रकट करने का और भी एक रास्ता हर नागरिक के लिए होता है, यह उन्होंने प्रस्तुत किया था। गांधी जी भी, आजदी का आन्दोलन जब तीव्रता पर होता था और आन्दोलन में एक पड़ाव की जरूरत होती थी, तो वे उसकी तीव्रता को समाज के अन्दर रचनात्मक कामों की ओर प्रेरित करने के लिए बड़े सफल प्रयोग करते थे।
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