मोदी की डिग्री सार्वजनिक करने के CIC के आदेश से PMO नाखुश
एक मामले में सूचना आयुक्त एम. श्रीधर अचर्यालु ने दिल्ली के मुख्यमंत्री
अरविंद केजरीवाल की दलील को RTI आवेदन के तौर पर स्वीकार कर यह आदेश दिया
था, हालांकि यह मामला प्रधानमंत्री मोदी की एजुकेशनल डिग्री से जुड़ा हुआ
नहीं था
नई दिल्ली। नरेंद्र मोदी की डिग्रियों को लेकर उठाए गए सवालों पर सेंट्रल इन्फॉर्मेशन कमिशन के आदेश को लेकर प्रधानमंत्री कार्यालय के नाखुश होने की बात सामने आ रही है। कहा जा रहा है कि PMO खुद मोदी की डिग्रियां सार्वजनिक करने वाला था लेकिन अब CIC के आदेश के कानूनी पहलुओं पर सवाल खड़े हो गए हैं।
सूत्रों ने बताया कि एक मामले में सूचना आयुक्त एम. श्रीधर अचर्यालु ने दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की दलील को RTI आवेदन के तौर पर स्वीकार कर यह आदेश दिया था। हालांकि यह मामला प्रधानमंत्री मोदी की एजुकेशनल डिग्री से जुड़ा हुआ नहीं था।
प्रधानमंत्री ने 1978 में दिल्ली विश्वविद्यालय से B.A. और गुजरात यूनिवर्सिटी से 1983 में M.A. किया था। प्रधानमंत्री ने अपने चुनावी हलफनामे में इनका जिक्र भी किया है। सूत्रों के मुताबिक दिल्ली के मुख्यमंत्री के मतदाता पहचान पत्र से जुड़े RTI केस में केजरीवाल ने दलील दी कि CIC खुद तो उनकी जानकारी सार्वजनिक करना चाहता है लेकिन मोदी की डिग्री से जुड़ी सूचना को सार्वजनिक करने में कथित तौर पर बाधा डाल रहा है।
एम. श्रीधर ने इसी चिट्ठी को RTI आवेदन मानते हुए मोदी की डिग्री सार्वजनिक करने का आदेश दिया। मामले पर करीबी नजर रखने वाले लोगों का कहना है कि गुजरात यूनिवर्सिटी राज्य सरकार के RTI कानून के दायरे में आता है न कि केंद्रीय सूचना आयोग के तहत। इस लिहाज से गुजरात यूनिवर्सिटी को निर्देश देकर CIC ने अपने अधिकार क्षेत्र का अतिक्रमण करते हुए दिखता है। एम. श्रीधर ने PMO को मोदी की डिग्रियों के रोल नंबर और साल बताने को भी कहा है।
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