उन्होंने कहा कि अंतरआत्मा की आवाज पर यह फैसला लिया गया है, राज्यसभा में बहस का स्तर उनके लायक नहीं है
इंदौर। गायत्री परिवार के प्रमुख डॉ. प्रणव पंड्या ने राज्यसभा का सदस्य बनने से इनकार कर दिया है। उन्होंने कहा कि अंतरआत्मा की आवाज पर यह फैसला लिया गया है। राज्यसभा में बहस का स्तर उनके लायक नहीं है। उन्होंने यह भी कहा कि सांसद बनना उनके मौजूदा पद से छोटा है। बता दें कि केंद्र सरकार ने सातवें नामांकित सदस्य के रूप में पांड्या को चुना था। उनका नाम राष्ट्रपति को भी भेजा गया था। नामांकन के एक दिन बाद ही उन्होंने राज्यसभा जाने से मना कर दिया।
पांड्या ने एक चैनल को दिए इंटरव्यू में कहा था कि भाजपा अध्यक्ष अमित शाह ने मुझे अपने घर बुलाया था, उस वक्त ही मैंने मना कर दिया था। इसके बाद मेरे पास बार-बार संदेश आया कि प्रधानमंत्री चाहते हैं कि मैं राज्यसभा में आऊं। मुझे गृह मंत्रालय की तरफ से मैसेज आया कि मुझे नॉमिनेट कर लिया गया है। मैंने प्रधानमंत्री के कहने पर इसे स्वीकार कर लिया। हालांकि खबरें प्रसारित होने के बाद मेरे पास कई लोगों के फोन आए। जब मैंने उनकी राय मांगी तो उनका कहना था कि आप कल तक जिनके साथ सम्मानपूर्वक बैठते थे, आज आप उनके चरणों में बैठ रहे हैं। इसके बाद मैंने राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री को चिट्ठी लिखकर मना कर दिया। उन्होंने कहा कि वे देश की सेवा पहले की तरह करते रहेंगे।
जानिए कौन हैं पंड्या
डॉ. पंड्या गायत्री परिवार की पत्रिका अखंड ज्योति के संपादक होने के साथ-साथ देव संस्कृत विश्वविद्यालय के चांसलर भी हैं। पंडित
श्रीराम शर्मा आचार्य के काफी नजदीकी रहे डॉ. पंड्या ने करीब 80 देशों में
गायत्री परिवार की शाखाएं खोली हैं। डॉ. पंड्या ने 1975 में एमजीएम मेडिकल
कॉलेज से मेडिसिन में एमडी किया। वह एमडी में गोल्ड मेडलिस्ट रहे हैं।
उन्होंने 1976 में यूएस मेडिकल सर्विस को क्वालिफाइ किया था। डॉ.
पंड्या BHEL के साथ भी जुड़े रह चुके हैं। वह 1979 से हरिद्वार में स्थित
ब्रह्मवर्चस शोध संस्थान के डायरेक्टर के पद पर हैं। 1984-90 के बीच डॉ.
पंड्या केंद्र और राज्य सरकार के अधिकारियों के लिए चलने वाले ‘पर्सनैलिटी
डिवेलपमेंट एंड मोरल एजुकेशन’ ट्रेनिंग प्रोग्राम के भी इंचार्ज रहे।