श्यामा माझी ने चादर के दो किनारे मोटे बांस पर बांध दिये और चादर में पत्नी संगारी को बैठाकर अस्पताल के लिए चल पड़ा। करीब 16 किलोमीटर तक पैदल चलने के बाद उसे छत्तीघाटी के पास एंबुलेंस मिली।
भुवनेश्वर/कालाहांडी: सुरक्षित मातृत्व के सरकारी प्रयासों में कालाहांडी की यह घटना बदनुमा दाग साबित हुई। आदिवासी जाति डौंगरियाकौंध की एक गर्भवती महिला को चादर में लपेट कर जैसे-तैसे 16 किलोमीटर दूर लांजीगढ़ ब्लाक के सामुदायिक स्वास्थ केंद्र तक ले जाया गया।
21 किमी दूर था अस्पताल
डा.संजय बेहरा ने बताया कि संगारी नाम की महिला ने बच्ची को जन्म दिया। मां और बच्ची दोनों का स्वास्थ्य ठीक है। नियमगिरि पर्वत पर बसे काचबंडेल गांव के श्यामा माझी की पत्नी संगारी माझी (21) प्रसव पीड़ा से छटपटा रही थी। लांजीगढ़ ब्लाक का अस्पताल यहां से 21 किलोमीटर दूर है।
16 किमी पैदल चलने के बाद मिली एंबुलेंस
एंबुलेंस आने का रास्ता अस्पताल से सिर्फ पांच किलोमीटर तक ही है। छत्तीघाटी के पास एंबुलेंस सेवा मिल पाती है। भारी बारिश से रास्ता और भी मुश्किल भरा हो गया था। श्यामा माझी ने चादर के दो किनारे मोटे बांस पर बांध दिये और चादर में पत्नी संगारी को बैठाकर अस्पताल के लिए चल पड़ा। करीब 16 किलोमीटर तक पैदल चलने के बाद उसे छत्तीघाटी के पास एंबुलेंस मिली।