प्रणब दा ने कहा कि इतिहास हमेशा हमारी कामयाबी का आकलन करेगा। प्रणब मुखर्जी ने नए राष्ट्रपति को शुभकामनाएं भी दी। राष्ट्र के नाम संबोधन में उन्होंने कहा कि मैं देश की जनता का हमेशा आभारी रहूंगा।
नई दिल्ली। राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी का सोमवार को राष्ट्रपति भवन से आखिरी बार देश को संबोधित किया। इस दौरान उन्होंने कहा कि संसद मेरा मंदिर रहा और जनता की सेवा करना मेरी अभिलाषा रही। उन्होंने कहा कि इतिहास हमेशा हमारी कामयाबी का आकलन करेगा। प्रणब मुखर्जी ने कहा कि हम सबको मिलकर काम करने की जरूरत है।
नए राष्ट्रपति को बधाई
राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने अपने अंतिम भाषण में कहा कि सुशासन से पारदर्शिता और खुशहाली आएगी। इस दौरान प्रणब मुखर्जी ने नए राष्ट्रपति को शुभकामनाएं भी दी। राष्ट्र के नाम संबोधन में उन्होंने कहा कि मैं देश की जनता का हमेशा आभारी रहूंगा।
मंगलवार को नए राष्ट्रपति लेंगे शपथ
इसके अगले दिन नवनिर्वाचित राष्ट्रपति
रामनाथ कोविंद अपना पद संभालेंगे। उनके मंगलवार दोपहर लगभग 12.15 बजे पद संभालने की संभावना है। उनके नए सचिवालय के लिए अधिकारियों की नियुक्ति एक दिन पहले ही हो चुकी है।
सांसदों ने प्रणब मुखर्जी को विदाई
राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी को रविवार को सांसदों ने विदाई दी। इसके लिए संसद के सेंट्रल हॉल में एक विशेष कार्यक्रम का आयोजन किया गया। इस विशेष कार्यक्रम के लिए प्रणब मुखर्जी ने सभी का आभार जताया। इस दौरान प्रणब ने कहा कि संसद ने मेरी राजनीतिक सोच को नया आकार दिया है।
सांसदों को सुनाई मन की बात
संसद के सेंट्रल हॉल में आयोजित अपने विदाई समारोह में राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने सांसदों को अपने मन की बात बताई। उन्होंने कहा कि 22 जुलाई 1969 को 34 साल की उम्र में पहली बार राज्यसभा में पहुंचा था। उन्होंने कहा कि वरिष्ठ सदस्यों के भाषणों से सीख ली है। प्रणब मुखर्जी ने अपने संसदीय कार्यकाल का जिक्र करते हुए पूर्व प्रधानमंत्री
अटल बिहारी वाजपेयी, पूर्व पीएम मनमोहन सिंह, बीजेपी के वरिष्ठ सांसद
लालकृष्ण आडवाणी और कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी को भी याद किया। इस दौरान उन्होंने पीएम मोदी की भी प्रशंसा की।
मुखर्जी ने सांसदों की पीढ़ियों को सिखाया है : महाजन
विदाई समारोह में लोकसभा अध्यक्ष सुमित्रा महाजन ने कहा कि राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी गुरु हैं, जिनसे सांसदों की कई पीढ़ियों ने सबक सीखा है। उन्होंने कहा कि आप संसदीय नियमों और प्रक्रियाओं के अपने दोष रहित ज्ञान और घटनाओं व पूर्वजों की अनुकरणीय स्मृति के लिए सम्माननीय हैं। महाजन ने कहा कि मुखर्जी की पश्चिम बंगाल के एक गांव से राष्ट्रपति भवन तक की यात्रा हमारे देश के समकालीन इतिहास से जुड़ी है और यह सभी के लिए प्रेरणादायक है।