सुप्रीम कोर्ट ने गैर-अध्यापन क्षेत्र के किसी व्यक्ति को प्रतिष्ठित एएमयू का कुलपति नियुक्त करने पर कई सवाल खड़े किए।
नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने गैर-अध्यापन क्षेत्र के किसी व्यक्ति को प्रतिष्ठित अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय (एएमयू) का कुलपति नियुक्त करने पर सोमवार को कई सवाल खड़े किए।
मुख्य न्यायाधीश टी एस ठाकुर और न्यायमूर्ति ए एम खानविलकर की पीठ ने सुनवाई के दौरान कहा, ‘एएमयू केंद्रीय विश्वविद्यालय है और विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) के कायदे कानून इस पर अनिवार्य रूप से लागू होते हैँ। कुलपति को शिक्षाविद होना चाहिए और इस पद पर आसीन होने वाले व्यक्ति को किसी विश्वविद्यालय में एक प्रोफेसर के तौर पर कम से कम 10 साल का अनुभव होना चाहिए।‘‘
न्यायालय ने कहा, “जब सभी केंद्रीय विश्वविद्यालय इस नियम का पालन कर रहे हैं तो एएमयू क्यों नहीं? एक सैन्य अधिकारी को नियुक्त क्यों किया गया। हम उनकी दक्षता पर सवाल नहीं खड़े कर रहे हैं, बल्कि हम यूजीसी के तय नियमों के तहत उनकी नियुक्ति पर सवाल खड़े कर रहे हैं।”
याचिकाकर्ता सैयद अबरार अहमद की ओर से प्रशांत भूषण ने और एएमयू की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता राजू रामचंद्रन ने पैरवी की। मामले की अगली सुनवाई 26 सितम्बर को होगी।