इस सौदे के तहत भारत 36 राफेल विमान मिलेंगे, इसके लिए 7.86 बिलियन यूरो यानी करीब 59 हजार करोड़ रुपए चुकाने होंगे
नई दिल्ली। भारत और फ्रांस ने लंबे समय से अटके पड़े 36 राफेल विमानों की खरीद से संबंधित सौदे पर आखिरकार आज हस्ताक्षर कर दिए। रक्षा मंत्री मनोहर पर्रिकर और फ्रांसीसी रक्षा मंत्री यीव ज्यां जीन ने यहां इस सौदे के अनुबंध पर हस्ताक्षर किए । दोनों देशों की सरकारों के बीच हुए इस सौदे के तहत भारत 7.878 अरब यूरो यानी लगभग 59 हजार करोड़ रुपये की लागत से फ्रांसीसी कंपनी डसाल्ट एविएशन से 36 बहुउद्देशीय राफेल विमान खरीदेगा ।
17 महीने से चल रही थी बात
इस सौदे के बारे में पिछले 17 महीने से बात हो रही थी, लेकिन इस कीमत को लेकर सहमति नहीं बन पा रही थी। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की गत वर्ष अप्रैल में पेरिस यात्रा के दौरान फ्रांसीसी राष्ट्रपति फ्रांस्वा होलांद के साथ बातचीत में इस सौदे पर सहमति बनी थी। भारत को पहला विमान इस सौदे पर हस्ताक्षर करने के 36 महीनों के भीतर और शेष 35 आने वाले 60 महीनों में दिए जाएंगे।। सहमति के अनुसार भारत पहली किश्त में 9000 करोड़ रुपये का भुगतान करेगा।
क्या है रॉफेल की ताकत
राफेल दो इंजन का बहुउद्देशीय विमान है और इसे इस विमान में हवा से हवा में 150 किलोमीटर तक मार करने वाली मेटियोर मिसाइल, 70 किलोमीटर तक हवा से हवा में मार करने वाली मीका मिसाइल तथा हवा से जमीन में 300 किलोमीटर तक मार करने वाली स्काल्प मिसाइल से लैस किया जायेगा। सौदे के तहत भारत अब फ्रांस को कुल 7.878 अरब यूरो का भुगतान करेगा। इसमें 36 विमानों के लिए 3402 यूरो, इससे जुड़ी प्रणालियों के लिए 1800 मिलियन यूरो, भारतीय जरूरतों के हिसाब से इसमें किये जाने वाले बदलावों के लिए 1700 मिलियन यूरो और हथियारों के पैकेज के लिए 710 मिलियन यूरो शामिल है। भारत ने इससे पहले डसाल्ट एविएशन से 126 राफेल विमान खरीदने का अनुबंध किया था लेकिन इस सौदे की जटिलताओं में फंसने के बाद मोदी सरकार ने वर्ष 2015 में इस सौदे को रद्द कर सीधे फ्रांस सरकार से 36 लडाकू विमान पूरी तरह तैयार हालत में खरीदने का सौदा किया था।
मेटियोर से लैस होगा रॉफेल
वहीं 7.87 अरब यूरो में से, फ्रांस 50 फीसदी ऑफसेट प्रावधान पर भी सहमत हो गया है। इसका मतलब यह है कि इस क्लॉज के तहत फ्रांस सौदे का 50 प्रतिशत भारत में फिर से निवेश करेगा या इतनी ही राशि सैन्य उपकरणों में निवेश करेगा। उधर, राफेल लड़ाकू विमान मेटियोर से सुसज्जित होगा जो दुश्मनों के एयरक्राफ्ट और 100 किमी दूर स्थिति क्रूज मिसाइल को ध्वस्त कर सकता है। इस मिसाइल को अपने बेड़े में शामिल कर लेने से भारत की स्थिति दक्षिण एशिया में और मजबूत हो जाएगी। पाकिस्तान और चीन के पास भी इस श्रेणी की मिसाइल नहीं है। मेटेओर को हवा से हवा में मार करने वाली विश्व का आधुनिक मिसाइल का दर्जा मिला हुआ है।
जानिए मेटियोर की ताकत
मेटियोर के समान मात्र एक अन्य मिसाइल एआईएम-120डी है जो कि हवा से हवा में मार करने वाली अमरीका द्वारा निर्मित मध्यम श्रेणी की मिसाइल है, जिसे 100 किमी से अधिक दूर के निशाने को भेदने के लिए बनाया गया है। हालांकि जानकारों का मानना है कि मेटेओर अपने रैमजेट इंजन के चलते अधिक घातक मिसाइल है। बता दें कि भारत को फिलहाल कम से कम 42 स्कावड्रन की जरूरत है और वर्तमान में उसके पास 32 स्कावड्रन हैं। यह संख्या और कम हो जाएगी क्योंकि मिग-21 फाइटर विमान के इस्तेमाल पर पाबंदी लगा दी गई है। वहीं, नए विमान 2019 से बेड़े में शामिल होंगे।
भारत में रहकर ही चीन और पाक पर कर सकते हैं हमला
राफेल का इस्तेमाल फिलहाल सीरिया और इराक में बम गिराने के लिए किया जा रहा है। राफेल 3 हजार 800 किलोमीटर तक उड़ान भर सकता है। इसकी मदद से एयरफोर्स भारत में रहकर ही पाक और चीन में हमला कर सकती है। राफेल में हवा से जमीन में मार करने वाली स्कैल्प मिसाइलें होंगी। सुरक्षा विशेषज्ञों की मानें, तो इस सौदे से एयरफोर्स और मजबूत होगा। एयरफोर्स के पास 1970 और 1980 के पुराने पीढ़ी के विमान हैं। बीते 25-30 सालों के बाद ऐसा पहली बार हो रहा है, जब भारत राफेल के रूप में ऐसी टेक्नोलॉजी खरीद रहा है।