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अब हर बार इस्तेमाल के बाद धुलेंगे ट्रेन में मिलने वाले कंबल

रेलवे में जो कंबल फिलहाल इस्तेमाल हो रहे हैं, उनकी जगह नरम कपड़े से बने नए डिजाइन के हल्के कंबलों का इस्तेमाल किया जाएगा। 

Mar 13, 2016 / 09:24 pm

विकास गुप्ता

Railways to wash blankets

Railways to wash blankets

नई दिल्ली। रेलवे ने ट्रेनों के कंबलों को हर बार इस्तेमाल के बाद साफ करने का निर्णय लिया है और इसके साथ ही इससे आने वाली दुर्गंध अब पुराने जमाने की बात हो जाएगी। योजना के अनुसार, इस समय इस्तेमाल किए जा रहे कंबलों की जगह रेलवे में पहली बार नरम कपड़े से बने नए डिजायन के हल्के कंबलों का इस्तेमाल किया जाएगा और प्रत्येक इस्तेमाल के बाद इसे धोया जाएगा।

इस समय महीने में एक या दो कंबलों को धोया जाता है। रेलवे में जो कंबल फिलहाल इस्तेमाल हो रहे हैं, उनकी जगह नरम कपड़े से बने नए डिजाइन के हल्के कंबलों का इस्तेमाल किया जाएगा। इन कंबलों को हर इस्तेमाल के बाद धोया जा सकेगा। पिछले महीने संसद में एक सवाल के जवाब में रेल राज्य मंत्री मनोज सिन्हा ने बताया था कि रेलवे में इस्तेमाल होने वाले कंबल दो महीने में एक बार धोए जाते हैं।

फिलहाल महीने में एक या दो बार ही कंबल को धोया जाता है। रेल मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि हम निफ्ट से कंबलों का डिजाइन करवा रहे हैं जिसे हरेक इस्तेमाल के बाद साफ किया जाएगा और इसके बाद भी यह लंबे समय तक चल सकता है। राष्ट्रीय फैशन टेक्नोलॉजी संस्थान ने सूती कपड़ा और ऊन मिला कर कंबल के कपड़े का डिजाइन किया है जिसे रोजाना धोया जा सकता है।

अधिकारी ने बताया कि जब से कंबलों के बारे में शिकायतें मिली हैं, हमने मसला सुलझाने का प्रयास किया। हमने निफ्ट के डिजाइन किए गए धोने योग्य कंबल को मंजूरी दी है। शुरू में धोने वाले कंबलों का इस्तेमाल कुछ चुनिंदा प्रमुख ट्रेनों में किया जाएगा और बाद में इसमें और ट्रेनों को शामिल किया जाएगा।

रेलवे कई स्टेशनों पर कंबलों सहित चादरों के रोजाना धोने की जरूरत बढऩे पर कपड़ा साफ करने के लिए अत्याधुनिक मशीने भी लगाएगी। निफ्ट ना केवल कंबल का डिजाइन तैयार करेगी बल्कि चादरों को भी एक नए रंग संयोजन के साथ पुन: डिजाइन करेगी। ताकि चादर और तकिया कवर सभी नये अंदाज में नजर आए। उन्होंने बताया कि यात्री प्राथमिकताओं पर कराए गये एक सर्वेक्षण के मुताबिक, यात्री सफेद की तुलना में रंगीन चादर को तरजीह देते हैं।

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