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आचार समिति ने संसद से माल्या के निष्कासन की सिफारिश की

एथिक्स कमेटी ने माल्या की सदस्यता बर्खास्त करने की मांग की गई
है, यदि कमेटी की मांगों को मान लिया जाता है तो राज्यसभा से माल्या को
बर्खास्त किया जाएगा

May 04, 2016 / 01:06 pm

Rakesh Mishra

Vijay Mallya

Vijay Mallya

नई दिल्ली। राज्यसभा सभापति हामिद अंसारी ने मंगलवार को कारोबारी विजय माल्या का इस्तीफा नामंजूर कर दिया है। एथिक्स कमेटी ने मंगलवार को माल्या की सदस्यता बर्खास्त करने की मांग की गई है। यदि कमेटी की मांगों को मान लिया जाता है तो राज्यसभा से माल्या को बर्खास्त किया जाएगा।

माल्या के मामले में सदन की आचार समिति ने अपनी रिपोर्ट सदन में पेश की जिसमें कहा गया है कि समिति ने 03 मई को अपनी बैठक में सर्वसम्मति से यह सिफारिश करने का निर्णया लिया कि विजय माल्या को तत्काल प्रभाव से सदन से निकाल दिया जाए। बैंकों का ऋण नहीं चुकाने वाले माल्या के देश छोडऩे और उनके खिलाफ गैर जमानती वारंट जारी होने के बाद राज्यसभा में उनकी सदस्यता समाप्त करने की मांग की गई थी। जिस पर इस मामले को कांग्रेस के कर्ण सिंह की अध्यक्षता वाली आचार समिति को भेज दिया गया।

समिति के सदस्यों में बहुजन समाज पार्टी के सतीश चंद्र मिश्रा, तृणमूल कांग्रेस के मुकुल राय, जनता दल युनाईटेड के शरद यादव, अन्नाद्रमुक के ए नवनीत कृष्णन, समाजवादी पार्टी के नीरज शेखर, माक्र्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी के सीताराम येचुरी और तेलुगू देशम पार्टी के देवेंद्र गौड टी है। समिति के दो पद रिक्त है। समिति ने कहा है कि सदस्यों को ऐसा कोई काम नहीं करना चाहिए, जिससे संसद की बदनामी होती हो और उसकी विश्वसनीयता प्रभावित होती हो। सदस्य और उनके परिजनों के हितों तथा सार्वजनिक हितों के बीच कोई टकराव उत्पन्न नहीं होना चाहिए और यदि होता हो तो उसे ऐसे तरीके से सुलझाना चाहिए कि सार्वजनिक हितों पर संकट नहीं पैदा हो।

माल्या ऐसा करने में असफल रहे हैं। माल्या की राज्यसभा की सदस्यता समाप्त करने की सिफाारिश करते हुए समिति ने कहा है कि ऐसा सख्त कदम उठाने से आम जनता में यह संदेश पहुंचेगा कि संसद इस महान संस्था की गरिमा और गौरव को बनाए रखने के लिए चूककर्ता सदस्यों के खिलाफ ऐसे कदम उठाने के लिए वचनबद्ध है। इससे पहले बैंकों के करोड़ों रुपयेे के देनदार राज्यसभा के निर्दलीय सदस्य विजय माल्या का इस्तीफा प्रक्रिया संबंधी खामियों के कारण मंगलवार को नामंजूर कर दिया गया था। उन्होंने अपना इस्तीफा सदन की आचार समिति को भेजा था। उन पर देश के कई बैंकों का नौ हजार करोड़ रुपए से अधिक का बकाया है। माल्या के खिलाफ केंद्रीय जांच ब्यूरो और प्रवर्तन निदेशालय जांच कर रहे हैं। बैंकों ने उन्हें दिवालिया घोषित कर दिया है।

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