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ब्रिक्स: आतंकवाद के मुद्दे पर रूस का भी नहीं मिला साथ

Published: Oct 18, 2016 11:25:00 am

Submitted by:

Rakesh Mishra

ब्रिक्स सम्मेलन में पाकिस्तान को आतंकवाद की वजह से अलग-थलग करने के मुद्दे पर रूस ने भारत का समर्थन करने की बजाय चुप्पी साधे रखी

modi in brics

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गोवा। ब्रिक्स सम्मेलन में पाकिस्तान को आतंकवाद की वजह से अलग-थलग करने के मुद्दे पर रूस ने भारत का समर्थन करने की बजाय चुप्पी साधे रखी। एक अंग्रेजी अखबार में छपी खबर के मुताबिक चीन पहले से ही जैश-ए-मोहम्मद और लश्कर-ए-तैयबा का नाम गोवा डिक्लेरेशन में लाने का रास्ता बंद कर चुका था, लेकिन रूस ने भी पाकिस्तान के इन दोनों आतंकवादी संगठनों को लेकर भारत के प्रस्ताव पर चुप्पी साधे रखी। जबकि ब्रिक्स में शामिल देश संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद द्वारा घोषित आतंकवादी संगठनों की सूची को स्वीकार करने के लिए प्रतिबद्ध हैं।

हालांकि रूस ने जैश-ए-मोहम्मद का नाम घोषणापत्र में शामिल कराने में भारत का कोई साथ नहीं दिया, लेकिन वह खुद सीरियाई संगठन जबाहत-अल-नुसरा का नाम इसमें शामिल कराने में सफल रहा। रूस सीरियाई राष्ट्रपति बशर अल असद के पक्ष में नुसरा पर लगातार हमले करता रहा है। नुसरा, जैश, और लश्कर संयुक्त राष्ट्र द्वारा प्रतिबंधित संगठनों की सूची में शामिल है।

कूटनीति मामलों के जानकार बह्मा चेल्लानी ने कहा कि रूस ब्रिक्स घोषणापत्र में भारत की चिंता को दर्शाना तो चाहता होगा, लेकिन चीन की मौजूदगी के कारण वह ऐसा करने से बचा। उन्होंने कहा कि इसी कारण घोषणापत्र में राज्य प्रयोजित आतंकवाद का मुद्दा शामिल नहीं किया जा सका। हालांकि इसमें आईएस और अल नुसरा का नाम को शामिल कर लिया गया, लेकिन इस घोषणापत्र ने भारत के लिए ब्रिक्स की उपयोगिता पर ही सवाल खड़े कर दिए।

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