आज भी भारत लौटना चाहता है हिजबुल प्रमुख सलाहुद्दीन : दुलात
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सलाहुद्दीन वर्ष 2001 में भारत आना चाहता था और कई बार मैंने भी इसका समर्थन किया
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नई दिल्ली। अपनी किताब से अहम खुलासे कर तहलका मचाने वाले रॉ के पूर्व प्रमुख ए एस दुलात ने कहा कि प्रतिबंधित आतंकी संगठन हिजबुल मुजाहिद्दीन के प्रमुख सलाहुद्दीन आज भी भारत लौटने के लिए तैयार है। हालांकि, उसको इस बात का दुख है कि उसकी वापसी की रूप-रेखा तैयार करने में सरकार ने “काफी समय” बर्बाद कर दिया।
दुलात ने कहा कि सलाहुद्दीन वर्ष 2001 में भारत आना चाहता था और कई बार मैंने भी इसका समर्थन किया था। हालांकि, मेरे बाद रॉ प्रमुख बने विक्रम सूद के कुछ और ही विचार थे। उनके अधीन काम करने वाले लोगों ने सोचा होगा कि चूंकि प्रधानमंत्री कार्यालय (पीएमओ) से कश्मीर मामले को मैं देख रहा हूं इसलिए उन्हें इस मामले में दखल देने की जरूर नहीं है।
अपनी किताब “कश्मीर : द वाजपेयी इयर्स” में उन्होंने लिखा कि श्रीनगर में तैनात इंटेलीजेंस ब्यूरो (आईबी) प्रमुख के एम सिंह को सलाहुद्दीन ने फोन कर मेडिकल कॉलेज मे अपने बेटे का दाखिला करवाने के लिए फोन किया था। सलाहुद्दीन के बेटे का दाखिला करवा दिया गया था जिसके बाद उसने दोबारा फोन कर सिंह को मदद के लिए धन्यवाद कहा।
किताब में उन्होंने आगे लिखा कि इस तरह के कामों का फायदा उठाया जाना चाहिए, लेकिन हमने ऎसा नहीं किया। हम सलाहुद्दीन को वापस ला सकते थे और इसके लिए वह तैयार भी था। बस हम लोगों को यह तय करना था कि उसे वापस लाना कब है। लेकिन, ऎसे मामलों में समय की एहमीयत बहुत होती है। उसे लाना है या नहीं, इसे लेकर हमने बहुत समय बर्बाद कर दिया।
रॉ से 2000 में रिटायर होने के बाद पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के समय पीएमओ में कश्मीर को लेकर विशेष सलाहकार रहे दुलात ने कहा कि रॉ छोड़ने के बाद संगठन ने कश्मीर में वो गर्मजोशी नहीं दिखाई जो मेरे समय में थी। मेरे समय में जरूर माहौल कुछ और था, लेकिन मेरे वहां से हटते ही माहोल बदल गया।
दुलात ने कहा कि अभी भी मेरे पास संदेश आते हैं कि सलाहुद्दीन वापस आना चाहता है। लोग मेरे पास आकर कहते हैं कि वह वापस आना चाहता है। ऎसे संदेश में सरकार तक पहुंचा देता हूं। उम्मीद करता हूं कि कोई इस पर सकारात्मक तरीके से सोचेगा।
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