संजीव चतुर्वेदी, अंशु गुप्ता को मैगसेसे
रेमन
मैगसेसे पुरस्कार की शुरूआत 1957 में हुई थी, जिसे एशिया का नोबेल पुरस्कार माना
जाता है
नई दिल्ली। सामाजिक कार्यकर्ता अंशु गुप्ता और अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) के पूर्व सतर्कता अधिकारी संजीव चतुर्वेदी को बुधवार को क्रमश: नेतृत्व क्षमता और भ्रष्टाचार को उजागर करने के लिए रेमन मैगसेसे पुरस्कार से सम्मानित किया गया।
रेमन मैगसेसे अवार्ड फाउंडेशन ने कहा है कि अंशु को यह सम्मान उनके रचनात्मक दृष्टिकोण और नेतृत्व क्षमता के लिए दिया गया है। उनके नेतृत्व में शहरों में अनुपयोगी समझे जाने वाले सामानों, खासकर कपड़ों का इस्तेमाल जिस तरह वंचित वर्ग की आवश्यकताएं पूरी करने के लिए किया जाता है, वह प्रशंसनीय है।
फाउंडेशन ने यह भी कहा है कि अंशु ने दुनिया को यह याद दिलाया है कि सच्चे कार्य का मतलब मानवीय मर्यादा का सम्मान करना और उसे संरक्षित करना है।
वहीं, एम्स के पूर्व सतर्कता अधिकारी संजीव के बारे में फाउंडेशन की ओर से कहा गया है कि उन्हें यह अवार्ड सरकारी दफ्तरों में भ्रष्टाचार उजागर करने के लिए दिया गया है। उनके द्वारा ईमानदारी, साहस और दृढ़ता के साथ इसमें किसी तरह का समझौता नहीं करना सराहनीय है।
रेमन मैगसेसे पुरस्कार की शुरूआत 1957 में हुई थी, जिसे एशिया का नोबेल पुरस्कार माना जाता है।
अंशु गैर सरकारी संगठन “गूंज” की प्रमुख हैं, जो पुराने कपड़ों तथा सामग्रियों का दोबारा इस्तेमाल कर इसे मूल्यवान वस्तुओं में तब्दील करती हैं, जिसका मकसद एक ऎसी अर्थव्यवस्था का निर्माण करना है जो धन-आधारित नहीं, बल्कि कूड़ा-करकट आधारित हो।
इस घोषणा से खुश अंशु ने कहा, मैं इस अवार्ड को पाकर वाकई बहुत खुश हूं। हमारे काम को पहचान मिली है। वहीं, संजीव ने कहा कि वह बाद में बयान जारी करेंगे। रेमन मैगसेसे पाने वालों में लाओस के कोमाली चांथावोंग, फिलीपींस के फर्नाडो-अमीलबांस्गा (फिलीपींस) और म्यांमार के क्याव थु भी शामिल हैं।
मैगसेसे पुरस्कार फिलीपींस के तीसरे राष्ट्रपति के नेतृत्व क्षमता की स्मृति में दिया जाता है। यह पुरस्कार हर साल एशिया के उन व्यक्तियों या संस्थानों को दिया जाता है, जिनमें रेमन मैगसेसे की तरह निस्वार्थ सेवा करने और दुनिया को बदलने की क्षमता मौजूद है। ये पांच हस्तियां उन 307 लोगों के समूह में शामिल हो जाएंगे, जिन्हें अब तक यह पुरस्कार मिल चुका है।
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