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सुप्रीम कोर्ट ने न्यायिक नियुक्तियों पर केंद्र की आलोचना की

शीर्ष अदालत के कॉलेजियम की संस्तुतियों को ठंडे बस्ते में डालने के लिए सर्वोच्च न्यायालय ने केंद्र सरकार की खिंचाई की और कहा कि यह कदम न्यायपालिका को पंगु बनाने जैसा है।

Oct 28, 2016 / 06:12 pm

विकास गुप्ता

supreme court

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नई दिल्ली। विभिन्न उच्च न्यायालयों में न्यायाधीशों की नियुक्ति के लिए शीर्ष अदालत के कॉलेजियम की संस्तुतियों को ठंडे बस्ते में डालने के लिए सर्वोच्च न्यायालय ने शुक्रवार को केंद्र सरकार की खिंचाई की और कहा कि यह कदम न्यायपालिका को पंगु बनाने जैसा है।

न्यायिक संस्था को पंगु बनाने के प्रयास को नहीं बर्दाश्त करने की बात सरकार से कहते हुए मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति टी.एस. ठाकुर, न्यायमूर्ति डी.वाई. चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति एल. नागेश्वर राव की पीठ ने कहा कि न्यायाधीशों की कमी के कारण कर्नाटक उच्च न्यायालय की भूतल पर स्थित सभी अदालतें बंद कर दी गई हैं। उन्होंने कहा कि अगर सरकार को किसी नाम को लेकर समस्या है तो वह संस्तुति लौटा सकती है, लेकिन वह इस पर कुंडली मार कर बैठ नहीं सकती है। पीठ ने कहा कि उच्च न्यायालय स्वीकृत क्षमता के 50 प्रतिशत के साथ काम कर रहे हैं।

न्यायमूर्ति ठाकुर ने कहा कि हमारे सामने एक समय ऐसी परिस्थिति थी, जब न्यायाधीश थे, लेकिन अदालत कक्ष नहीं थे, आज हमारे पास अदालत कक्ष हैं, लेकिन न्यायाधीश नहीं हैं। कर्नाटक उच्च न्यायालय की आधी अदलतें बंद कर दी गई हैं। आप सभी अदालतों को और साथ ही न्यायिक प्रक्रिया को बंद नहीं कर सकते हैं। प्रधान न्यायाधीश ने महान्यायवादी मुकुल रोहतगी को याद दिलाया कि वह बार के नेता हैं और उन्हें रचनात्मक भूमिका निभानी होगी।

उन्होंने कहा कि यह किसी व्यक्ति का अहंकार नहीं है। यह संस्थान है जो बुरी तरह प्रभावित हो रही है। आप न्याय देना बंद करना चाहते हैं? प्रधान न्यायाधीश ने रोहतगी से पूछा कि किसने कहा कि संस्तुति को मंजूरी देने के मार्ग में प्रक्रिया ज्ञापन का अंतिम रूप नहीं नहीं लेना सरकार के लिए बाधा उत्पन्न कर रही है। प्रधान न्यायाधीश ने पूछा कि तब कैसे सरकार ने अन्य नामों को हरी झंडी दी। उन्होंने कहा कि नई ज्ञापन प्रक्रिया (एमओपी) के न होने की स्थिति में पुरानी एमओपी के आधार पर नियुक्तियां की जा सकती हैं।

जब रोहतगी ने कहा कि पुरानी एमओपी अदालत के उस आदेश के विपरीत है, जिसमें अदालत ने राष्ट्रीय न्यायिक नियुक्ति आयोग को रद्द कर दिया था, तो इस पर न्यायमूर्ति ठाकुर ने कहा कि अगर आप नियुक्तियों से पहले नई ज्ञापन प्रक्रिया को अंतिम रूप देने पर जोर डाल रहे हैं तो हम संविधान पीठ में बैठेंगे और इसे मंजूरी दे देंगे। अदालत ने इस मामले की अगली सुनवाई के लिए 11 नवम्बर, 2016 की तिथि तय की है।

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