script‘वेदोंं में स्त्री-पुरुषों में भेदभाव नहीं, तो सबरीमाला मंदिर में क्यों?’ | sc postpone hearing on entry of women in sabarimala temple | Patrika News

‘वेदोंं में स्त्री-पुरुषों में भेदभाव नहीं, तो सबरीमाला मंदिर में क्यों?’

Published: Feb 12, 2016 04:54:00 pm

कोर्ट अब इस मामले की सुनवाई करेगा कि क्या महिलाओं के प्रवेश पर प्रतिबंध को स्थायी किया जा सकता है या नहीं

Supreme Court

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नई दिल्ली। केरल के सबरीमाला मंदिर में 10 से 50 साल के बीच की उम्र की महिलाओं के प्रवेश पर प्रतिबंध के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को मंदिर बोर्ड तथा सरकार से कई सवाल किए। सुप्रीम कोर्ट ने पूछा कि जब महिलाओं और पुरुषों के बीच भेदभाव वेदों, उपनिषदों या किसी भी शास्त्र में नहीं किया गया है, तो सबरीमाला में ऐसा क्यों है। इसके खिलाफ यंग लॉयर्स एसोसिएशन नाम की एक संस्था ने याचिका दाखिल की है। कोर्ट अब इस मामले की सुनवाई करेगा कि क्या महिलाओं के प्रवेश पर प्रतिबंध को स्थायी किया जा सकता है या नहीं।

मंदिर बोर्ड तथा सरकार को जवाब देने के लिए छह हफ्ते का वक्त देते हुए कोर्ट ने पूछा कि सबरीमाला में महिलाओं का प्रवेश कब बंद किया गया था, तथा इसके पीछे क्या इतिहास है? कोर्ट इस मामले में यह भी देखना चाहता है कि समानता के अधिकार और धार्मिक स्वतंत्रता के मामले में रोक कहां तक ठीक है? कोर्ट के मुताबिक वह दोनों अधिकारों के बीच संतुलन बनाना चाहता है, तथा उसका मानना है कि मंदिर एक धार्मिक स्थल है और इसे तय पैमाने में होना चाहिए। मंदिर मैनेजमेंट ने अदालत से सभी आवश्‍यक जानकारी और फाइलें पेश करने के लिए वक्‍त मांगा था।

इस मामले के लिए वरिष्ठ वकील राजू रामचंद्रन और के रामामूर्ति को कोर्ट का सहायक नियुक्त किया गया है। उधर, मंदिर बोर्ड ने कहा है कि यह प्रथा 1,000 साल से चली आ रही है, सो, अब सुप्रीम कोर्ट इस मामले को क्यों उठा रहा है। बोर्ड ने यह भी बताया कि सिर्फ सबरीमाला मंदिर ही नहीं, पूरे सबरीमाला पर्वत पर महिलाओं का प्रवेश वर्जित है।

मामले में पहले ही काफी बवाल मचा हुआ है और इस बीच कांग्रेस सांसद शशि थरूर ने बुधवार को कहा कि सबरीमाला मंदिर में हर उम्र की महिलाओं को प्रवेश का अधिकार मिलना चाहिए। शशि का यह विचार कांग्रेस नेतृत्व वाली केरल सरकार के फैसले के विपरीत है। जिसके मुताबिक धार्मिक मामलों में पुजारियों की राय अंतिम फैसला माना जाना चाहिए। थरूर के बयान पर हंगामे के बाद उन्होंने कहा कि यह उनकी निजी राय है। तिरुवनंतपुरम से लोकसभा सदस्य थरूर ने कहा था कि सबरीमाला मंदिर सहित महिलाओं को सभी मंदिरों में प्रवेश का अधिकार दिया जाना चाहिए और इस मामले में किसी प्रकार का लैंगिक भेदभाव नहीं होना चाहिए।

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