‘प्रदूषण मामले में साझा कार्यक्रम की जानकारी दे केंद्र, दिल्ली सरकार’
कोर्ट ने सभी पक्षों को आगाह किया कि इस मामले में कोई राजनीति नहीं होनी चाहिए
नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली प्रदूषण मामले में केन्द्र और दिल्ली सरकार को ठोस साझा न्यूनतम कार्यक्रम की जानकारी शीर्ष अदालत को देने के लिए गुरुवार तक का समय दिया है। मुख्य न्यायाधीश टी एस ठाकुर की अध्यक्षता वाली तीन सदस्यीय खंडपीठ ने मंगलवार को सभी संबद्ध पक्षों की दलीलें सुनने के बाद इस मामले की सुनवाई की अगली तिथि 10 नवम्बर तय करते हुए उस दिन तक ठोस साझा न्यूनतम कार्यक्रम शीर्ष अदालत को बताने का केन्द्र और राज्य सरकार को आदेश दिया। कोर्ट ने सभी पक्षों को आगाह किया कि इस मामले में कोई राजनीति नहीं होनी चाहिए।
प्रदूषण पर एनजीटी ने दिल्ली समेत हरियाणा और पंजाब को भी लगाई फटकार
राष्ट्रीय हरित न्यायाधिकरण (एनजीटी) ने प्रदूषण से निबटने के तरीकों को लेकर दिल्ली सहित पड़ोसी राज्यों हरियाणा और पंजाब की सरकारों को भी कड़ी फटकार लगाई है। एनजीटी ने प्रदूषण से निबटने के लिए दिल्ली सरकार द्वारा किए जा रहे प्रयासों पर असंतोष जताते हुए कहा कि वह प्रदूषण को गंभीरता से नहीं ले रही है और इसलिए प्रभावी उपाय नहीं हो पा रहे हैं। उसने यह सवाल भी किया कि सड़कों पर पानी का छिड़काव क्रेन की बजाय हेलीकॉप्टरों से क्यों नहीं किया जा रहा है।
एनजीटी ने इस मौके पर दिल्ली सरकार से यह जानना चाहा कि उसके पास ऐसे कोई आंकड़े हैं जिससे यह पता लगता हो कि राज्य सरकार द्वारा किए गए प्रयासों से धुंध और प्रदूषण में कोई कमी आई है। उसने यह सवाल भी किया कि यह जानने के बावजूद कि पराली जलाने और दीपावली के बाद हर साल प्रदूषण बढ़ता है इस समस्या से निपटने के लिए अगस्त या सितंबर में कोई बैठक क्यों नहीं बुलाई गई। न्यायाधिकरण ने दिल्ली सरकार द्वारा स्कूल बंद किए जाने के उपायों पर सवाल उठाए और कहा कि घर में बैठने से क्या बच्चे से बच जाएंगे।
एनजीटी ने प्रदूषण के मामले में हरियाणा और पंजाब की सरकारों से पूछा कि उन्होंने फसलों के अवशेष जलाने को रोकने के लिए अपने यहां क्या उपाय किए हैं। उसने हरियाणा सरकार से कहा कि अगर राज्य में किसानों को कुछ आर्थिक मदद दी गई होती तो इतने बड़े पैमाने पर पराली नहीं जलाई गई होती। न्यायाधिकरण ने पंजाब सरकार से पूछा कि उसने अपने यहां किसानों को फसल के अवशेषों को निपटाने के लिए क्या सुविधा दी है। उसने यह भी पूछा कि निर्माण गतिविधियों पर रोक के बावजूद दिल्ली चंडीगढ़ मार्ग पर बड़े पैमाने पर निर्माण कार्य आखिर कैसे हो रहे हैं। दिल्ली और एनसीआर क्षेत्र में प्रदूषण की स्थित लगातार गंभीर बनी हुई है। हवा में प्रदूषक तत्वों पर्टिकुलेट मैटर 10 और 2.5 की मात्रा 10 गुना बढ़ चुकी है जो मानव स्वास्थ्य के लिए बेहद खतरनाक है।
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