scriptअस्थाना की नियुक्ति के खिलाफ याचिका पर सुनवाई शुक्रवार को | SC to hear PIL on Friday filed against appointment of Asthana as CBI director | Patrika News

अस्थाना की नियुक्ति के खिलाफ याचिका पर सुनवाई शुक्रवार को

Published: Dec 07, 2016 10:22:00 pm

याचिकाकर्ता ने आरोप लगाया है कि स्थापित प्रक्रिया को नजरंदाज करते हुए मनमाने ढंग से अस्थाना की नियुक्ति की गई है

Rakesh Asthana

Rakesh Asthana

नई दिल्ली। केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) के अंतरिम निदेशक के रूप में राकेश अस्थाना की नियुक्ति को चुनौती देने वाली गैर सरकारी संगठन ‘कॉमन कॉज’ की एक जनहित याचिका पर सर्वोच्च न्यायालय शुक्रवार को सुनवाई करेगा। याचिकाकर्ता ने आरोप लगाया है कि स्थापित प्रक्रिया को नजरंदाज करते हुए मनमाने ढंग से अस्थाना की नियुक्ति की गई है।

कॉमन कॉज की ओर से पेश वकील प्रणव सचदेवा ने अदालत से मामले की जल्द सुनवाई की मांग की, जिस पर प्रधान न्यायाधीश न्यायमूर्ति टी.एस. ठाकुर के नेतृत्व वाली सर्वोच्च न्यायालय की पीठ जनहित याचिका पर शुक्रवार को सुनवाई करने हेतु राजी हो गई।

याचिकाकर्ता ने आरोप लगाया है कि सरकार ने अस्थाना को अंतरिम निदेशक बनाने के लिए कुछ कदम उठाए हैं, जिनमें केंद्रीय जांच ब्यूरो के पूर्व विशेष निदेशक आर.के. दत्ता को गृह मंत्रालय में भेजना भी शामिल है।

अस्थाना की नियुक्ति को रद्द करने की मांग करते हुए कॉमन कॉज ने अदालत से प्रमुख जांच एजेंसी के नियमित निदेशक की नियुक्ति प्रक्रिया नियमानुसार शुरू करने हेतु केंद्र सरकार को निर्देश देने की इच्छा जाहिर की है। सोसायटी ने तर्क दिया है कि अंतरिम निदेशक के रूप में अस्थाना की नियुक्ति सुनिश्चित करने के लिए सरकार ने बदनीयत, मनमाने और अवैध तरीके से काम किया है।

याचिकाकर्ता की ओर से आगे कहा गया कि सीबीआई के निदेशक अनिल सिन्हा की सेवानिवृत्ति से दो दिन पहले संयुक्त सचिव से दो श्रेणी ऊपर विशेष सचिव का एक पद बनाकर दत्ता को उक्त पद पर गृह मंत्रालय भेज दिया गया।

याचिका के अनुसार, ऐसा इसलिए किया गया, ताकि दत्ता के निदेशक बनने की कोई गुंजाइश न रहे, क्योंकि वह जांच एजेंसी के पदसोपान क्रम में दूसरे स्थान पर थे। याचिका में कहा गया है कि एक दशक में पहली बार जांच एजेंसी पर अंतरिम निदेशक थोपा गया है। सिन्हा के उत्तराधिकारी के चयन की प्रक्रिया काफी पहले शुरू होनी चाहिए थी।

कॉमन कॉज ने जनहित याचिका मेें सीबीआई निदेशक के चयन के लिए कानून के तहत उच्चस्तरीय समिति का हवाला देते हुए कहा कि स्पष्ट रूप से सरकार अपनी पसंद के अंतरिम निदेशक नियुक्त करना चाहती थी। भले ही इसका मतलब वैधानिक कानून, मर्यादा के नियम और शीर्ष अदालत के निर्देशों (विनीत नारायण मामले में) को दरकिनार करना क्यों न हो।
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