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चुनाव में धर्म का इस्तेमाल क्यों : सुप्रीम कोर्ट

Published: Oct 20, 2016 11:14:00 pm

मुख्य न्यायाधीश ने कहा कि धर्म के नाम पर वोट मांगना गलत है, चुनावी लड़ाई में इसका इस्तेमाल नहीं होना चाहिए

supreme court

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नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने अपने एक आदेश में कहा है कि चुनावों में कोई धर्म के नाम पर मत नहीं मांग सकता और धर्म को राजनैतिक प्रक्रिया से दूर रखा जाना चाहिए। सुप्रीम कोर्ट की 7 जजों की बेंच ने गुरुवार को 20 साल पुराने हिंदुत्व जजमेंट मामले में यह टिप्पणी की। देश के मुख्य न्यायाधीश टी एस ठाकुर ने कहा कि चुनावी प्रक्रिया धर्मनिरपेक्ष होती है और इसमें किसी धर्म को शामिल नहीं किया जाना चाहिए।

मुख्य न्यायाधीश ने कहा कि धर्म के नाम पर वोट मांगना गलत है। चुनावी लड़ाई में इसका इस्तेमाल नहीं होना चाहिए। उल्लेखनीय है कि 1995 में देश के तत्कालीन मुख्य न्यायाधीश जे एस वर्मा ने अपने फैसले कहा था कि हिंदुत्व जिंदगी का हिस्सा है और हिंदुत्व शब्द के इस्तेमाल पर कोई रोक नहीं है। इसलिए चुनाव में मत मांगते वक्त इन शब्दों का इस्तेमाल गलत नहीं है। कानून में ऐसा करना प्रतिबंधित है।

सुप्रीम कोर्ट ने यह टिप्पणी याचिकर्ता सुंदरलाल पटवा के वकील की दलील पर की, जब कहा गया कि सुप्रीम कोर्ट को 1995 के आदेश को बने रहने देना चाहिए। मुख्य न्यायाधीश ने माना कि पिछले 20 सालों में संसद ने कुछ नहीं किया जब यह मामला उसके विचाराधीन था। संभवत: वह इस बात का इंतजार कर रहा था कि इस मामले में हम ही फैसला सुना दे जैसे यौन शोषण मामलों में सुनाया जाता है।

कोर्ट ने कहा कि पटवा का ही मामला देख लें। वे जैन समुदाय से आते हैं। लेकिन, कोई उनके लिए कहे कि वह जैन होने के बावजूद राम मंदिर बनवाने में मदद करेंगे तो यह प्रत्याशी नहीं, बल्कि धर्म के नाम पर वोट मांगना होगा।

सामाजिक कार्यकर्ता तीस्ता सीतलवाड़ और अन्यों ने सुप्रीम कोर्ट में अपील की है कि कोर्ट 20 साल पुराने इस मामले को पलट दे ताकि राजनैतिक पार्टियां चुनावों में धार्मिक भावनाओं का गलत इस्तेमाल नहीं कर सकें।

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