तृप्ति देसाई ने कहा कि, “सब हमारा समर्थन कर रहे हैं, सीएम ने हमारा समर्थन किया है। तो फिर यहां क्यों हमें रोका जा रहा है?”
नई दिल्ली। शनि शिंगणापुर मंदिर में महिलाओं को पूजा का अधिकार देने पर विवाद शांत होने का नाम नहीं ले रहा है। अब इस मुद्दे पर द्वारकापीठ के शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती कूद पड़े हैं। उन्होंने शनि पूजा पर ही सवाल खड़े कर दिए हैं। शंकराचार्य स्वरूपानंद सरस्वती ने शनि पूजा का विरोध करते हुए कहा कि शनि को बुलाया नहीं भगाया जाता है। इतना ही नहीं उन्होंने शनि को भगवान मानने से इंकार करते हुए कहा कि शनि भगवान नहीं एक ग्रह हैं।
शंकराचार्य स्वरूपानंद सरस्वती के मुताबिक पूजा भगवान की होती है न की ग्रह की। ऐसे में महिलाओं को शनि पूजा से बचने की कोशिश करनी चाहिए। महिलाओं को अधिकार देने पर शंकराचार्य स्वरूपानंद सरस्वती ने कहा कि देश में महिलाओं को सामाजिक अधिकार की बात है तो वो उन्हें मिल चुका है। वो देश के अहम पदों प्रधानमंत्री, राष्ट्रपति और लोकसभा के अध्यक्ष के पद पर रह चुकी हैं। अगर धर्म में सामाजिक न्याय की बात है तो धर्म मान्यताओं और परंपराओं पर चलता है। यहां सामाजिक न्याय जैसी कोई बात नहीं होती।
अखाड़ा परिषद ने किया था महिलाओं के पूजा करने का समर्थन
बता दें कि महाराष्ट्र के अहमदनगर जिला स्थित शनि शिंगणापुर मंदिर में महिलाओं को पूजा करने से रोके जाने को लेकर विवाद चल रहा है। जिस पर बुधवार को अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष महंत नरेंद्र गिरी महाराज ने भी हस्तक्षेप किया था। उन्होंने कहा कि शनि मंदिर में महिलाओं को पूजा करने से रोकना गलत है।
महिला एक्टिविस्ट ने की थी सीएम से दखल देने की अपील
शनि शिंगणापुर मंदिर में महिलाओं के पूजा करने पर प्रतिबंध लगा है। इसके खिलाफ महिला संगठन आवाज उठा रहे हैं। मंदिर ट्रस्ट से फैसले के विरोध में महिला एक्टिविस्ट और भूमाता ब्रिगेड की प्रमुख तृप्ति देसाई ने बुधवार को मुख्यमंत्री देवेंद्र फडनवीस से मुलाकात करके मामला सुलझाने की अपील की थी।
भूमाता ब्रिगेड की करीब 400 महिलाओं ने किया था प्रदर्शन
भूमाता ब्रिगेड प्रमुख तृप्ति देसाई की मांग है कि शनि शिंगणापुर मंदिर में महिलाओं को पूजा का अधिकार दिया जाना चाहिए। इस मांग को लेकर उन्होंने 26 जनवरी को करीब 400 महिलाओं के साथ मंदिर के लिए कूच किया था, लेकिन पुलिस ने उन्हें कई लगभग 70 किमी किलोमीटर पहले ही रोक दिया। भूमाता ब्रिगेड का शनि देव की पूजा का अधिकार हासिल करने का प्रयास भले ही सफल नहीं हुआ, लेकिन इसका देशव्यापी असर हुआ। हालांकि, मंदिर अब भी इस पर अडिग है कि परंपरा का उल्लंघन नहीं करने दिया जाएगा।
पहले भी विवादों में रहे हैं शंकराचार्य
शंकराचार्य स्वरूपानंद सरस्वती ने इसके पहले साईं की पूजा करने और भगवान मानने का भी विरोध किया था। उन्होंने बाकायदा इसके विरोध में धर्म संसद भी बुलाई थी और साईं की पूजा का विरोध करने का ऐलान किया था।
टूटी थी 400 साल पुरानी पंरपरा
मुंबई से करीब तीन सौ किलोमीटर दूर शनि शिंगणापुर मंदिर में महिला श्रद्धालु के दर्शन के बाद से विवाद शुरू है। एक युवती ने 400 साल पुरानी परंपरा को तोड़ते हुए शनि की मूर्ति पर तेल चढ़ा दिया था। इसके बाद मंदिर प्रशासन ने महिला को रोकने के लिए महिला पुलिस को तैनात किया था।