script3 लाख से अधिक के लेनदेन पर प्रतिबंध लगे : एसआईटी | SIT : To curb black money, ban cash transactions of above Rs 3 lakhs | Patrika News

3 लाख से अधिक के लेनदेन पर प्रतिबंध लगे : एसआईटी

Published: Jul 14, 2016 06:58:00 pm

एसआईटी ने सिफारिश की है कि तीन लाख रुपए से अधिक के लेनदेन पर पूरी तरह प्रतिबंध लगा दिया जाना चाहिए

Black Money

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नई दिल्ली। कालाधन पर बने विशेष जांच दल (एसआईटी) ने तीन लाख रुपए से ज्यादा की नकद लेनदेन को ‘पूरी तरह’ प्रतिबंधित करने तथा नकदी रखने की अधिकतम सीमा 15 लाख रुपए तय करने की सिफारिश की है। एसआईटी ने सुप्रीम कोर्ट में सौंपी अपनी पांचवीं रिपोर्ट में कहा है कि बड़ी मात्रा में अघोषित संपत्ति नकद में रखी और ली-दी जाती है।

विभिन्न देशों में इस संबंध में मौजूदा प्रावधानों तथा विभिन्न रिपोर्टों के मद्देनजर और नकद लेनदेन पर अदालतों की टिप्पणियों को देखते हुए एसआईटी को लगता है कि नकद लेनदेन की अधिकतम सीमा तय किए जाने की जरूरत है। इसलिए, एसआईटी ने सिफारिश की है कि तीन लाख रुपए से अधिक के लेनदेन पर पूरी तरह प्रतिबंध लगा दिया जाना चाहिए।

उसने इस संबंध में एक कानून बनाकर ऐसे लेनदेन को अवैध घोषित करने तथा इनके लिए सजा का प्रावधान करने की सिफारिश की है। एसआईटी ने अपनी सिफारिशों में नगदी रखने की सीमा 15 लाख रुपए तय किए जाने की भी बात कही है। उसने कहा है कि समय-समय पर विभिन्न एजेंसियों द्वारा की गई कार्रवाइयों में बड़ी मात्रा में नगदी बरामद होना इस बात की पुष्टि करता है कि नगद के रूप में बड़ी मात्रा में बेनामी संपत्ति रखी जाती है।

तो विशेष अनुमति ले सकता है
लेनदेन की तीन लाख रुपए की सीमा संबंधी प्रावधान तभी सफल हो सकता है जब नगदी रखने की सीमा तय हो। इसलिए,उसने नगदी रखने की सीमा 15 लाख रुपए तय करने की सिफारिश की है। हालांकि,उसने यह भी कहा है कि यदि किसी व्यक्ति या उद्योग को इससे अधिक नगदी रखने की आवश्यकता होती है तो वह इसके लिए क्षेत्रीय आयकर आयुक्त से विशेष अनुमति ले सकता है।

वित्त मंत्रालय ने मांगी प्रतिक्रिया
वित्त मंत्रालय ने इन सिफारिशों पर आम लोगों समेत सभी संबद्ध पक्षों से प्रतिक्रिया मांगी है। कालाधन मामले की जांच के लिए मई 2014 में सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर एसआईटी का गठन किया गया था। न्यायमूर्ति (सेवानिवृत्त) एम.बी.शाह इसके अध्यक्ष हैं, जबकि न्यायमूर्ति (सेवानिवृत्त) अरिजित पसायत उपाध्यक्ष हैं। कुल 11 एजेंसियां उसके तहत काम कर रही हैं।
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