लड़की करना चाहती थी जो काम, उससे मां को आती थी शर्म, आज उसी काम से खड़ी को करोड़ों की कंपनी
Published: Jan 12, 2017 01:36:00 pm
उनके पिता को तो समझ ही नहीं आया कि वो क्या काम करना
चाहती । इस दौरान कई मौकों पर उनका मजाक भी बनाया गया लेकिन इस सबसे परे
उन्होंने साल 2011 में 35 लाख रूपये की लागत से अपनी लॉन्जरी स्टोर जिवामे
की नींव रखी..
sucess story of richa founder of zivame
बेंगलुरु: एक कथन के अनुसार, “कोई काम छोटा या बड़ा नहीं होता, इंसान छोटा-बड़ा भले ही हो सकता है।” ऐसा ही कुछ काम काम है महिलाओं के अंडरगारमेंट्स बेचना, लोग इस तरह से व्यापार को करने में काफी झिझक महसूस करते हैं। अब यह व्यापार करने वाला चाहे महिला हो या पुरुष, एक झिझक सभी में होती । लेकिन कुछ लोग ऐसे होते हैं जो दुनियादारी की परवाह किये बिना अपने काम को पूरी शिद्धत के साथ करते हैं।
बैंगलूरु की ऋचा ने इसी समस्या को समझते हुए लॉन्जरी स्टोर की शुरुआत की। हालांकि इसके बाद जब उन्होंने यह आइडिया अपने घरवालों के साथ शेयर किया, तो उनकी मां ने इसका विरोध किया। उनका कहना था कि, अपने सम्बंधियों को वो कैसे बतायेगीं कि उनकी बेटी ब्रा-पैंटी बेचती है।
ऋचा के कहना है कि उनके पिता को तो समझ ही नहीं आया कि वो क्या काम करना चाहती । इस दौरान कई मौकों पर उनका मजाक भी बनाया गया लेकिन इस सबसे परे उन्होंने साल 2011 में 35 लाख रूपये की लागत से अपनी लॉन्जरी स्टोर जिवामे की नींव रखी।
इसे उन्होंने अपने दोस्तों और परिवार वालों से जुटाया। इसमें उनकी अपनी सेविंग्स भी शामिल थी। रिचा को बिजनेस की शुरुआत करने में काफी परेशानियों का सामना करना पड़ा था। उन्होंने अपनी नौकरी तक छोड़नी पड़ी।
रिचा की कंपनी की वेल्यू आज 270 करोड़ रुपए है। उनका रेवेन्यू सालाना आधार पर 300 फीसदी की दर से बढ़ रहा है। जिवामे के ऑनलाइन लॉन्जरी स्टोर में फिलहाल 5 हजार लॉन्जरी स्टाइल, 50 ब्रांड और 100 साइज हैं। कंपनी ट्राई एट होम, फिट कंसल्टेंट, विशेष पैकिंग और बेंगलुरु में फिटिंग लाउंज जैसी ऑफरिंग्स दे रही है।
कंपनी इस समय भारत में सभी पिन कोड पर डिलिवरी करती है। इस सफलता के लिए रिचा को साल 2014 में फॉर्च्यून इंडिया की ‘अंडर 40’ लिस्ट में शमिल किया गया।