पायलट की आत्महत्या से 33 साल में हो चुकी है 421 लोगों की मौत
Published: Mar 28, 2015 12:51:00 pm
अमरीकी एविएशन नियंत्रक की ओर से जारी की गई रिपोर्ट में खुलासा किया गया है
मुंबई। 1982 के बाद से अब तक कॉमर्शियल पायलटों की आत्महत्या के चलते 421 लोगों की मौत हो चुकी है। अगर फ्रांस में जर्मनविंग्स दुर्घटना को भी शामिल कर लिया जाए तो यह संख्या बढ़कर 571 हो जाती है। अमरीकी एविएशन नियंत्रक की ओर से जारी की गई रिपोर्ट में खुलासा किया गया है कि अमरीका में 2003 से 2012 के बीच में इस तरह के आठ मामले हुए। इनमें से सात मामलों में तो पायलट ही जिम्मेदार था।
टेस्ट में इनमें से चार पायलट में शराब और दो में अवसादरोधी दवाओं का सेवन मिला। इन चौंकाने वाले आंकड़ों के बावजूद हवाई यात्रा अब भी सबसे सुरक्षित यात्रा है और जानबूझकर हवाई दुर्घटना बहुत कम होती है। जानकारों का मानना है कि इस तरह के हादसे भारत में भी हो सकते हैं लेकिन संभावनाएं कम है। इसका कारण है अमरीका का वर्ल्ड ट्रेड सेंटर हादसा। इस घटना के बाद प्लेन के कॉकपिट से जुड़े नियमों में बदलाव किया गया और सभी तरह की फ्लाइट में नए तरह के दरवाजे लगाए गए। हवाई यात्रा के दौरान कॉकपिट का दरवाजा हमेशा बंद रहना चाहिए और अंदर से ही खोला व बंद किया जा सकता है। भारत में नियम है कि कॉकपिट में हर समय में कम से कम दो लोग रहने चाहिए।
एक एयरलाइन कमांडर ने बताया कि, इसलिए जब एक पायलट को बाथरूम जाना हो तो एक फ्लाइट अटेंडेंट को कॉकपिट में बुलाया जाना चाहिए। इससे कि यदि पायलट काम में लगा हो तो वह कॉकपिट का गेट खोल सके। लेकिन इस नियम का पूरी तरह से पालन नहीं होता। जर्मनविंग्स मामले के बाद डीजीसीए इस नियम को अनिवार्य कर सकती है। हालांकि भारत में पायलट अपनी मानसिक बीमारी की जानकारी छिपाते हैं। भारत में कॉमर्शियल पायलट की शारीरिक जांच वायुसेना करती है लेकिन मानसिक स्थिति की जांच नहीं होती।