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अरुणाचल: SC ने कहा, अपनी मर्जी से विस का सत्र नहीं बुला सकते गवर्नर

Published: Feb 09, 2016 07:00:00 pm

राज्यपाल ने कांग्रेस सरकार के बहुमत का पता लगाने के लिए विधानसभा का सत्र एक महीने पहले बुलाने का फैसला किया था

Supreme Court

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नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को कहा कि अरूणाचल प्रदेश के राज्यपाल जेपी राजखोवा राज्य विधानसभा का सत्र अपनी मर्जी से नहीं बुला सकते। राज्यपाल ने अरूणाचल प्रदेश में नबाम तुकी नीत कांग्रेस सरकार के बहुमत का पता लगाने के लिए विधानसभा का सत्र एक महीने पहले बुलाने का फैसला किया था। 

न्यायमूर्ति जेएस खेहर की अध्यक्षता वाली पांच न्यायाधीशों की संविधान पीठ ने कहा कि राज्यपाल अपनी मर्जी से विधानसभा का सत्र नहीं बुला सकते। अरूणाचल प्रदेश में वैसा मौका नहीं आया था जिसके बारे में हम शुरूआत से ही कह रहे हैं। वहां वैसे हालात नहीं थे। अरूणाचल प्रदेश में फिलहाल राष्ट्रपति शासन लागू है।

अदालत ने यह भी कहा कि विधानसभा अध्यक्ष को हटाए जाने के बाद सदन की कार्यवाही का प्रभार उपाध्यक्ष के हाथ में होने के दौरान अगर विधानसभा में तुकी सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव पारित किया जाता है तो इसमें कुछ भी गलत नहीं है।

अदालत ने यह टिप्पणी वरिष्ठ अधिवक्ता राकेश द्विवेदी की दलीलों को सुनने के दौरान की। वह कांग्रेस के कुछ बागी विधायकों की तरफ से पेश हुए थे। उन्होंने अपने रुख को दोहराया कि राज्यपाल के मुख्यमंत्री और उनकी मंत्रिपरिषद की सलाह के बिना अपनी मर्जी से विधानसभा का सत्र बुलाने पर रोक नहीं है।

द्विवेदी ने कहा कि सिर्फ एक ही शर्त है कि सदन में कुछ कार्य होना चाहिए और राज्यपाल के विधानसभा सत्र बुलाने पर रोक नहीं है। वरिष्ठ अधिवक्ता ने कहा कि एक बार सदन का सत्र शुरू हो जाता है तो राज्यपाल की भूमिका इस बात का फैसला करने की नहीं रह जाती कि क्या काम होना चाहिए। क्योंकि यह तब विधानसभा का कार्य हो जाता है।

उन्होंने कहा कि सामान्य नियम है कि संवैधानिक शक्तियों की व्याख्या उदार तरीके से की जानी चाहिए। उन्होंने कहा कि विशेष परिस्थितियों में राज्यपाल के पास विशेषाधिकार है। अदालत संविधान के तहत राज्यपाल की कुछ शक्तियों पर विभिन्न याचिकाओं पर सुनवाई कर रही है। अदालत बुधवार को भी याचिकाओं पर सुनवाई करेगी।

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