नोटबंदी पर मोदी सरकार को सुप्रीम कोर्ट से राहत नहीं
देश के अलग-अलग उच्च न्यायालयों में लंबित कार्यवाही पर स्थगनादेश जारी करने की केंद्र की अपील को SC ने नामंजूर कर दिया
नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने नोटबंदी को लेकर देश के विभिन्न उच्च न्यायालयों में लंबित कार्यवाही पर स्थगनादेश जारी करने की केंद्र की अपील को नामंजूर कर दिया। इसके साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार की ओर से दाखिल ट्रांसफर याचिका पर सभी याचिकाकर्ताओं को नोटिस भेजा है। इस मामले की अगली सुनवाई 2 दिसंबर को होगी। उल्लेखनीय है कि केन्द्र सरकार ने देश नोटबंदी को लेकर अलग-अलग हाईकोर्ट्स में चल रही याचिकाओं को सुप्रीट कोर्ट या किसी एक उच्च न्यायालय में स्थानांतरित किए जाने की अपील की थी।
सर्वोच्च न्यायालय ने केन्द्र की याचिका सुनते हुए कहा कि हो सकता है कि जनता उनसे त्वरित राहत चाहती हो। चीफ जस्टिस टी एस ठाकुर की अगुवाई वाली तीन सदस्यीय पीठ ने कहा, “हम इसे रोकना नहीं चाहते। विभिन्न मुद्दे हैं। लोगों को उच्च न्यायालयों से तत्काल राहत मिल सकती है।” सुनवाई के दौरान पीठ ने अटार्नी जनरल मुकुल रोहतगी से कहा कि हमें लगता है कि आपने जरूर कुछ उचित कदम उठाए होंगे। अब क्या स्थिति है? आपने अभी तक कितनी रकम एकत्र की है।
कोर्ट के प्रश्न का जवाब देते हुए एजी ने कहा कि अब स्थिति पहले से काफी बेहतर हुई है। नोटबंदी के बाद से अब तक बैंकों में छह लाख करोड़ रुपए से अधिक की धनराशि जमा हो चुकी है। साथ ही पैसों के डिजीटल लेनदेन में भी काफी उछाल आया है। एजी ने कोर्ट को बताया कि नोटबंदी का फैसला पूरी देश की जनता के हित में तथा देश में जमा कालाधन हटाने के मकसद से लिया गया था। उन्होंने कहा कि सरकार हालातों पर नजर रखे हुए हैं।
गौरतलब है कि पीएम मोदी ने 8 नवंबर को 500 तथा 1000 के नोटों पर बैन लगाने की घोषणा की थी। उन्होंने पुराने नोटों को जमा करवाने के लिए 31 दिसंबर तक का समय भी दिया था। इस घोषणा के बाद से पूरे देश की जनता 500 तथा 1000 के नोटों को नए नोटों से रिप्लेस करने में लग गई। जिसके चलते बैंकों में भीड़ उमड़ पड़ी तथा एटीएम पर भी लंबी-लंबी लाईनें लग गईं। हालांकि इसके साथ ही देश भर के अलग-अलग हिस्सों में 500 तथा 1000 के नोटों को फेंकने या जलाने जैसी घटनाएं भी रोज आ रही हैं।
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