scriptटाटा समूह किसी की जागीर नहीं : साइरस मिस्त्री | Tata Group is not anybody's personal property : Mistry | Patrika News
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टाटा समूह किसी की जागीर नहीं : साइरस मिस्त्री

मिस्त्री ने अपने पत्र में कहा, टाटा समूह की किसी की निजी जागीर नहीं है

Dec 05, 2016 / 11:25 pm

जमील खान

cyrus mistry

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मुंबई। टाटा संस के बेदखल अध्यक्ष साइरस मिस्त्री ने सोमवार को कहा कि ‘टाटा समूह किसी की निजी जागीर नहीं है।à मिस्त्री ने समूह के शेयरधारकों को लिखे अपने पत्र में यह बातें कही है। यह पत्र मिस्त्री को टाटा समूह की कंपनियों के बोर्ड से निकालने के लिए बुलाई गई असाधारण आमसभा (ईजीएम) से पहले आया है। मिस्त्री ने अपने पत्र में कहा, टाटा समूह की किसी की निजी जागीर नहीं है। यह किसी एक व्यक्ति का नहीं है, न ही यह टाटा के ट्रस्टियों का है, न ही यह टाटा संस के निदेशक का है, न ही सक्रिय कंपनियों के निदेशकों का है।

इसमें कहा गया, यह समूह के शेयरधारकों का है, जिसमें आप सभी शामिल हैं। मैं इसलिए आप सबसे गुजारिश करता हूं कि आप अपनी आवाज तेजी से और स्पष्टता से उठाएं। मैं आपसे भविष्य को परिभाषित करने का हिस्सा बनने की गुजारिश करता हूं।

उन्होंने लिखा, टाटा संस, खासतौर पर टाटा के ट्रस्टों की संचालन व्यवस्था में सुधार जरूरी है। सरकार का यह स्वाभाविक दायित्व है कि वह टाटा ट्रस्ट की बिगड़ी संचालन व्यवस्था में सुधार के लिए हस्तक्षेप करे, जो कि सार्वजनिक चैरिटेबल ट्रस्ट हैं और भारत के लोगों की संपत्ति है और यहां पारदर्शी संचालन व्यवस्था लागू की जाए।

बिजनेस स्कूलों में पढ़ाया जाएगा सायरस मिस्त्री और रतन टाटा की लड़ाई का पाठ
टाटा ग्रुप के बोर्ड रूम वॉर से देश के बिजनेस स्कूलों को एक नई मिसाल मिली है। साइरस मिस्त्री और रतन टाटा के बीच हुई इस अप्रत्याशित लड़ाई को अब देश के बिजनेस स्कूल में स्टूडेंट्स को एक केस स्टडी के रूप में पढ़ाया जाएगा। टाटा ग्रुप की इस घटना का इस्तेमाल बिजनेस स्कूल्स स्टूडेंट्स को अच्छी बिजनस प्रैक्टिस के बारे में बताने के लिए करेंगे।

टाटा समूह की इस लड़ाई में बिजनेस के कई सबक छिपे हैं

टाटा संस के चेयरमैन पद से सायरस मिस्त्री को हटाए जाने के बाद ग्रुप के साथ उनका जो टकराव शुरू हुआ है, उससे बिजनेस स्कूलों में पढ़ाए जाने वाले सारे सबक दिए जा सकते हैं। आईआईएम, इंडियन स्कूल ऑफ बिजनस और मैनेजमेंट डवलपमेंट इंस्टीट्यूट जैसे जाने-माने बिजनेस स्कूल के प्रोफेसर्स का मानना है कि इस घटना में कॉरपोरेट गवर्नेंस से लेकर सक्सेशन प्लानिंग तक के सबक छिपे हैं। आईआईएम बैंगलौर में कॉर्पोरेट स्ट्रैटिजी और पॉलिसी के प्रोफेसर रामचंद्रन जे कहते हैं कि हम इस पर एक केस स्टडी तैयार कर रहे हैं। इसके जरिए लिस्टेड कंपनियों में मालिकाना अधिकारों और प्रबंधक अधिकारों पर अपना फोकस रखेंगे।

बिजनेस स्टूडेंट्स को बिजनेस ग्रुप और समूह के बीच अंतर

रामचंद्रन ने कहा कि इस केस के जरिए हम मैनेजमेंट के स्टूडेंट्स को बिजनेस ग्रुप और समूह के बीच का अंतर समझाएंगे। उदाहरण के तौर पर टाटा संस के चेयरमैन के पास वो काम नहीं है, जो कि जनरल इलेक्ट्रिक के चेयरमैन के पास है। इसकी वजह यह है कि जीई एक कंपनी है, जिसमें एरोस्पेस, मेडिकल और लाइटिंग जैसे बिजनेस हैं। वहीं, टाटा ग्रुप के पास कई अलग-अलग तरह के काम है। इसमें टाटा स्टील, टाटा मोटर्स और टाटा केमिकल जैसी कंपनियां शामिल हैं। आईआईएम बेंगलुरु की केस स्टडी में इस पर भी फोकस किया जाएगा कि अगर किसी को चेयरमैन के पद से हटाया जाता है लेकिन बोर्ड से नहीं तो उसका क्या असर पड़ता है?

स्टूडेंट्स को बताएंगे फैमिली बिजनेस में उत्तराधिकार के मामलों से कैसे निपटा जाए?

आईआईएम कोलकाता में स्ट्रेटजिक मैनेजमेंट के एसोसिएट प्रोफेसर अनिर्बान पंत स्टूडेंट्स को ये समझाने की कोशिश करेंगे कि चेयरमैन का काम सिर्फ स्ट्रैटिजी बनाने तक सीमित रहना चाहिए या उन्हें इसके साथ ग्रुप की पहचान बनाने पर भी ध्यान देना चाहिए। इसमें एक विषय ये भी होगा कि टॉप लीडर्स सही कैंडिडेट का चुनाव कैसे करते हैं? वहीं, आईएसबी के काविल रामचंद्रन ने कहते हैं कि टाटा ग्रुप में जो हो रहा है, उससे कई चीजें सीखने का मौका मिला है। हम अपने कोर्स का इसे हिस्सा बनाएंगे। उन्होंने बताया कि इसमें कॉरपोरेट गवर्नेंस, बोर्ड ऑफ डायरेक्टर्स का कामकाज, नॉन-फैमिली सीईओ के एंप्लॉयमेंट, सक्सेशन मैनेजमेंट और नॉन-ऑपरेटिंग ओनर्स के रोल पर फोकस किया जा सकता है। हालांकि, अभी केस स्टडी फाइनल नहीं की गई है। कई प्रोफेसर्स ने बताया कि इस मामले ने यह भी सिखाया है कि फैमिली की ओर से चलाए जाने वाले बिजनेस को उत्तराधिकार के मामले से कैसे निपटना चाहिए।


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