विशाखापत्तनम। 26/11 के मुंबई आतंकवादी हमले की ओर इशारा करते हुए मोदी ने रविवार को कहा कि भारत समुद्र के जरिए पैदा होने वाले खतरे से सीधे तौर पर पीड़ित रहा है। उन्होंने यह भी कहा कि समुद्र के जरिए पैदा होने वाले खतरे ने अब भी क्षेत्रीय एवं वैश्विक शांति तथा स्थिरता को खतरे में डाल रखा है। इंटरनेशनल फ्लीट रिव्यू के समापन समारोह में उन्होंने समुद्री सुरक्षा से जुड़ी बातों पर चिंता जाहिर की और भारत की समुद्री योजनाओं से लेकर मेक इन इंडिया तक पर अपनी बातें कहीं।
क्या हैं चार समुद्री चुनौतियां ?
पहला, मुंबई के 26/11 के आतंकी हमले की ओर इशारा करते हुए मोदी ने कहा कि भारत समुद्र के जरिए पैदा होने वाले खतरे का सीधे तौर पर पीडि़त रहा है।
दूसरा, उन्होंने कहा कि समुद्र के जरिए पैदा होने वाले खतरे ने अब भी क्षेत्रीय एवं वैश्विक शांति तथा स्थिरता को खतरे में डाल रखा है।
तीसरा, मोदी ने कहा कि सोमालियाई समुद्री लुटेरों की ओर से भारत सहित अन्य देशों के व्यापारिक पोतों को निशाना बनाए जाने की पृष्ठभूमि में समुद्री डकैती भी एक बड़ी चुनौती बनी हुई है।
चौथा, पीएम ने दक्षिण चीन सागर विवाद की ओर परोक्ष तौर पर इशारा करते हुए कहा कि देशों को नौवहन की आजादी का सम्मान करना चाहिए और इसे सुनिश्चित करना चाहिए और उन्हें प्रतिस्पर्धा नहीं बल्कि सहयोग करना चाहिए।
पहले समुद्री शिखर सम्मेलन का मेजबानी करेगा भारत
मोदी ने कहा कि तीसरे भारत-अफ्रीका शिखर सम्मेलन और भारत-प्रशांत द्वीपीय सहयोग की मेजबानी करने के बाद भारत अप्रैल में पहले वैश्विक समुद्री शिखर सम्मेलन की मेजबानी करेगा। अपनी सरकार की महत्वाकांक्षी मेक इन इंडिया पहल का हवाला देते हुए मोदी ने कहा कि फ्लीट रिव्यू में हिस्सा ले रहे 37 जंगी जहाज भारत में बने हैं और इनकी संख्या में निश्चित तौर पर इजाफा होगा।
वैश्विक सुरक्षा के लिए शांतिपूर्ण और स्थिर समुद्री क्षेत्र बहुत जरूरी
मोदी ने कहा कि महासागरों से आर्थिक लाभ प्राप्त करने की राष्ट्र की क्षमता हमारी इस काबिलियत पर निर्भर करती है कि हम समुद्री दायरे में आने वाली चुनौतियों से किस तरह निपटते हैं। प्रधानमंत्री ने कहा कि सुनामी और चक्रवात जैसी प्राकृतिक आपदा के खतरे हर वक्त मौजूद हैं। तेलों के रिसाव, जलवायु परिवर्तन जैसी मानव निर्मित समस्याएं समुद्री क्षेत्र की स्थिरता के लिए जोखिम बने हुए हैं। उन्होंने कहा कि क्षेत्रीय और वैश्विक सुरक्षा के लिए शांतिपूर्ण और स्थिर समुद्री क्षेत्र का होना बहुत जरूरी है। प्रधानमंत्री ने कहा कि महासागरीय पारिस्थितिकी के संसाधनों का फायदा उठाना भी जरूरी है। मोदी ने कहा कि भारत के 1200 द्वीपीय क्षेत्र और 24 लाख वर्ग किलोमीटर का इसका विशाल विशेष आर्थिक क्षेत्र (ईईजेड) हिंद महासागर के आर्थिक महत्व को स्पष्ट करता है।
पड़ोसी देशों के लिए सामरिक पुल का काम करता है समुद्र
प्रधानमंत्री ने कहा कि यह हमारे लिए हमारे ठीक पड़ोस में या उससे थोड़े से अलग समुद्री क्षेत्र के किनारे बसे पड़ोसी देशों के साथ एक सामरिक पुल का काम भी करता है। पिछले साल मार्च में मॉरीशस में मैंने हिंद महासागर को लेकर अपना दृष्टिकोण जाहिर किया था। हिंद महासागर क्षेत्र मेरी सर्वोच्च प्राथमिकताओं में से एक है। सागर के हमारे दृष्टिकोण में हमारा रुख स्पष्ट है, जिसका मतलब समुद्र है और इसका पूरा नाम सिक्यूरिटी एंड ग्रोथ फॉर ऑल इन द रीजन यानी क्षेत्र में सभी के लिए सुरक्षा एवं संवृद्धि है।
हिंद महासागर में अपने हितों का बढावा देना जारी रखेगा भारत
प्रधानमंत्री ने कहा कि भारत समुद्रों और खासकर हिंद महासागर में अपने भू-राजनीतिक, सामरिक और आर्थिक हितों को बढ़ावा देना जारी रखेगा। उन्होंने कहा कि इस मामले में भारत की आधुनिक और बहुआयामी नौसेना सामने से अगुवाई करती है। यह शांति और अच्छाई की सेना है। बढ़ती राजनीतिक और आर्थिक समुद्री साझेदारियों के नेटवर्क और क्षेत्रीय रूपरेखाओं को मजबूत करने से भी हमारे लक्ष्यों को प्राप्त करने में मदद मिलती है। मोदी ने याद करते हुए कहा कि भारत ने इससे पहले 2001 में मुंबई में इंटरनेशनल फ्लीट रिव्यू की मेजबानी की थी।