उसने बताया कि दोनों ने बड़ी ब्राह्मणा रैकी भी की और बाजार भी गए। यहां पर सैन्यकर्मी परिवार के साथ खरीदारी करने आते हैं। हमले से पहले अबू ओकास डर गया और रोने लग गया जिसके चलते हमला टालना पड़ा। नावेद और अबू ओकास जिस ट्रक से कश्मीर घाटी से जम्मू पहुंचे थे, उसके ड्राइवर ने भी यही बयान दिया। अबू के पीछे हटने के कारण लश्कर के डिवीजनल कमांडर ने दोनों को वापिस बुला लिया था। इसके बाद अमरनाथ यात्रा या सैन्य काफिले पर हमले की योजना बनाई गई।
नावेद और उसके साथी ने बाद में उधमपुर में बीएसएफ के काफिले पर हमला किया। इस हमले में बीएसएफ के दो जवान शहीद हो गए थे। इसमें एक आतंकी मारा गया था जबकि दूसरे नावेद ने ग्रामीणों को बंधक बना लिया था। बाद में दो ग्रामीणों ने साहस दिखाते हुए नावेद को दबोच लिया।